देव बाबा तिन टंगिया मेज़ में प्रहार से थोडा घायल हो गए थे मगर आज कुछ ठीक हैं..... ससुरा बज्ज पुरम पर बकर बकर कर रहे थे और हाथ पैर चला रहे थे... बस हमारी यह हरकत उस तिन टंगिया को पसंद नहीं आई.... और फिर तीन दिन दर्द से बीते.... आज ठीक हैं एकदम.... वईसे बहुत दिनों से इस शनिवार का इंतज़ार था आराम करनें के लिए और कपडे, बर्तन वगैरह धोनें के लिए भी... ही ही.. अबे मजाक नहीं कर रहा हुं। कपडे गन्दे हैं और कल का दिन कपडे धोएंगे :)... एकदम रिन की चमकार लानी हैं कल भाई। किसी को आना हो (मदद करनें या फ़िर डेमो देखनें ) तो फ़िर आ जईयो हमरे घर। और आज कल ब्लागिंग से थोडा दूर हो गये हैं, यार नाईट शिफ़्ट के बाद कहां टाईम है की ब्लागिंग के लिए टाईम निकाला जाए। वईसे ही दिमाग की दशा बिगड जाती है, है की नहीं :)
लीजिए आज एक कविता अपनी घरवाली को समर्पित कर रहा हुं....
जीवन पथ के कठिन सफ़र पर
साथ हमेशा देंगे
कोई सुख हो कोई दुख हो
मिलकर हम सहेंगे.
बाधा चाहे कोई आए
साथ हमेशा देंगे
जीवन पथ की कठिन राह पर
मिलकर हम चलेंगे
मेरे ब्लागर मित्रों को
सहना तुमको होगा
मेरी ब्लागिंग की आदत को
सहना तुमको होगा
-देव
8 टिप्पणियां:
अच्छी पोस्ट .. शुभकामनाएं !!
कविता दिल को छू गयी .... वैरी टची ....
Thanks for not quitting blogging...
Congrats buddy...Wishing u a very happy married life !!!
यह तुम्हारे लिए बहुत बड़ी मुसीबत की बात होगी अगर एक को भी कम ध्यान दिया गया ! मेरी शुभकामनाएं !
जय हो ।
देखें कौन जीतेगा ?
उ दिन एतन चोटिया गये, और हम समझे हल्क फुल्क कोई बात है....अरे राम!!! अब ठीक हुए हो जानकर सुकून मिला.
बकिया तो वादे, देखो..
कहाँ देव बाबू चले जा रहे हैं भागे भागे
देखो क्या गुल खिलेगा अभी आगे आगे
-हम भी यहीं हैं, आप भी यहीं...बाकी तो ब्लॉग बोलेगा!!!
सुंदर भावपूर्ण रचना के लिए बहुत बहुत आभार.
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
.अरे राम!!! अब ठीक हुए हो जानकर सुकून मिला.
हा हा हा
ई चच्चा भी न !!
दो सौ रुपल्ली रोज झोंकोगे तो डेलीकेट (डेडिकेट) तो होइए गये न !!
अब का चाही. :-)
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