कुछ शब्द... यहाँ वहां जोड़ दिए हैं... कविता कहना शायद गलत होगा.. वैसे आखिरी फैसला आप लोगों पर छोड़ता हूँ...
जीवन के लिए जरूरी है...
कुछ कहना
कुछ सुनना
किसी का रूठना
किसी का मनाना
तू तू और मैं मैं...
से बात नहीं बनती....
तेरे बिन ज़िन्दगी की
शाम नहीं खिलती
सुबह का उजाला
और संध्या की लाली
तेरे बिन मेरी
शाम नहीं ढलती....
मेरे एकाकी लम्हे...
तुझे याद करते हैं
मेरे दोस्त तुझसे मिलने
सिर्फ और सिर्फ
तुझसे मिलने की फरियाद करते हैं....
7 टिप्पणियां:
विलकुल सही बात
अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर सब्द दिए हैं।बधाई।
हद हैँ यार, 21 मेँ अब दिन ही कितने बचे हैँ? थौडा तो इन्तजार करो।
वाह, क्या बात है..धार खुद ब खुद आ ही जाती है.
bahut khoob...!!
दिल को छू ग़ई
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