एक कविता लिखी है, पूरी तरह से अपनी बहन को डेडीकेट करुंगा।
तेरा भैया है ना....
मेरी बहना....
तू बिलकुल चिंता ना करना
तेरा भैया है ना.....
आज दुआ है मेरे दिल की
हर पल सुख से रहना....
नयी भोर की
नयी किरण से
नया सवेरा आये
नयी राह की
नए सफ़र की
आशाएं दिखलाए
तेरा साथ निभाने का
इक भाई का वादा....
तू बिलकुल चिंता ना करना
तेरा भैया है ना....
और कुछ लिखनें का मन नहीं कर रहा है..... बस आज की पारी यहीं तक.....
-देव
14 टिप्पणियां:
देव साहब, बेटियां और बहनें ऐसे ही बड़ी हो जाती हैं पता भी नहीं चलता। खैर कविता बहुत खूबसूरत लिखी है आपने। बधाई। बहन को मेरी तरफ से भी शुभकामना दीजिएगा सुखद भविष्य की।
हम लडकियां बचपन से ही गुड़ियों को सजाते हैं, संवारते हैं, उनकी शादी करते हैं. और उसी में कहीं न कहीं हम अपनी शादी के भी सपने देखने लगते हैं. आपकी बहन को मेरी शुभकामनाएं!
छोटी बहन जयंती और श्री कृष्ण कुमार जी को बहुत बहुत शुभकामनाएं और आशीष !
इस से ज्यादा एक भाई और दे भी क्या सकता है ! खूब खुश रहना |
बहन को ढेर आशीष एवं सुखद और समृद्व वैवाहिक जीवन के लिए मंगलकामनाएँ.
मेरी मौसी आई हुई हैं और उनकी डेढ़ साल की बेटी यानि कि हमारी छोटी बहन आई हुई है.
उसे पूरे पुरुष वर्ग से चिढ है, वह किसी भी आदमी या लड़के के पास नहीं जाती है.
पर हमको देखते ही हमारे पास आ गयी, जबकि हम एक सप्ताह से दाढ़ी-मूँछें भी बढाए हुए थे.
हमारी गोद में आई और हम उसको केला खिलाए और पाँच मिनट के बाद वह केला उसने निकाल दिया !!!
दुष्ट ने दो मिनट में पचा भी लिया !!!
हम क्या कविता करें !!!
भाई बहन का प्रेम देख कर आँखें नम हो गयी। बहन को ढेर आशीर्वाद और वैवाहिक जीवन के लिए मंगलकामनाएँ.
बहन को शादी की शुभकामनायें।
आईये जानें ..... मैं कौन हूं !
आचार्य जी
बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट...दिल को छू गई...
sirji padha aur fir shabd dhundhle pad gaye...chhoti behen ka chehra saamne se gujar gaya...sath khele khaaye bade hue...fir...
कभी कोई आया था ज़िंदगी मे....
तो चिढन सी थी की मेरे हिस्से का प्यार कम हो गया....
माँ की गोद मुझसे छिन किसी और को मिल गयी....
पिताजी की नज़रो मे कोई और चेहरा चढ़ गया....
नाराज़ था मैं उससे क्यूँ आई वो....
छिन गया था मुझसे मेरा संसार....
मौका मिलते ही उसे परेशान करता था
खींचता था उसके बाल....
पर कभी उसकी प्यारी सूरत देखकर प्यार आ जाता था
तो मुँह सड़ाकर चला जाता था....
अपने कमरे से छिप्कर उसे मुँह चिढ़ाता था....
पर वो सच मे बहुत प्यारी थी...
इसीलिए सबकी दुलारी थी....
उसकी आँखें मुझे देख कर खिल उठती थी....
टुक टुक कर मुझे ही देखती रहती थी....
शायद वो मुझसे कुछ कहना चाहती थी....
मेरी भी गोद मे आकर रहना चाहती थी....
फिर मेरे भी हाथ उसे गोद मे लेने को मचलने लगे....
थोड़ा थोड़ा उसकी बातें समझने लगे....
मेरे मन का युध समाप्त हुआ....
जब उसने अपनी छोटी सी उंगलियो से मुझे छुआ....
अब मैं अपने खिलौने उसके साथ खेलने लगा....
उसकी गुड़िया के हाथ और आँखें तोड़ने लगा...
टूटी चूड़ियाँ फटे हुए काग़ज़ जो भी थे....
मेरे बचपन के सारे ख़ज़ाने अब उसके भी थे....
अब वो धीरे धीरे मेरी उंगली पकड़ कर चलने लगी....
मेरे हान्थो से चॉक्लेट टॉफियाँ छीनने लगी....
फिर एक दौर आया जब हम बिछड़े....
उसकी एहमियत अब ज़्यादा समझ मे आने लगी....
सोते मे उसकी याद तकिया भिगाने लगी......
फिर दुबारा मिले लड़े झगड़े साथ रहे....
ज़िंदगी के सबसे प्यारे लम्हे बिताए....
साथ रोए, साथ खाए....
आज मैं यहा हूँ दूर उससे....
आँखों मे उसका चेहरा अब भी सताता है....
दिल रह रह कर उसी के पास चला जाता है....
पहले उसके हर जन्मदिन पर साथ थे....
अब वो हर साल मेरे बिना बड़ी होती है....
दिल मे इक टीस सी होती है....
एक दिन वो कहीं और चली जाएगी....
लगता है भाग दौड़ मे कट वो भी घड़ी जाएगी....
और मैं फिर यही आ जाऊँगा....
अपनी ज़िंदगी मे खो जाऊँगा....
वो पल जो उसके साथ थे....वो भी सताएँगे....
और पल जो उसके बिना कटे वो भी रुलाएँगे....
कभी कह नही पाया पर मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ....
हमेशा उससे मिलने की घड़ी का इंतेज़ार करता हूँ....
वो तब भी मेरे लिए गुड़िया थी....
अब भी मेरी दुलारी है....
कभी कह नही पाया पर बहेन....
तू मुझे जान से प्यारी है......
यार रुला दिया मेरे भाई
हमारी बहन को बोलना की तेरे भाई हैं ना एक अमेरिका में भी ....
बहन का रिश्ता जैसे की भावों का भंवरा
और उसके नवजीवन में पदार्पण के लिए ढेरों सारी शुभकामनायें .....
Meri or se bhi unhe naye jeevan ki badhai aur bhavishya ke liye shubhkaamnayen den.Achchhi,bhaavmay prastuti.
कविता बहुत खूबसूरत है..
बहुत ही खूबसूरत सूरत
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