सोमवार, 14 जून 2010

महाराष्ट्र की सरकार कृपया ज़वाब दे.....

अगर मुम्बई, महाराष्ट्र में सरकार नाम की कोई चीज है तो मेरी इन प्रश्नों का उत्तर दे.....

आज का किस्सा सुनिए.... आज पवई स्थित अपने ऑफिस से साढ़े ६ बजे निकले.... यकीन मानिए उस समय ज़रा भी अंदाजा नहीं था की पवई हीरानंदानी में भी ट्राफिक इस प्रकार का तांडव कर सकता है| अब सुनिए पवई हाई स्ट्रीट से नीचे उतरने के बाद पहला सर्कल.... ट्राफिक के बैंड बजे हुए है.... कारण.... दो ट्रक.... उनमे से एक क्रेन टाइप का बड़ा वाला ट्रक.... सड़क एक नदी के रूप में तब्दील हो चुकी थी और सड़क पर पानी एक तेज़ धार के रूप में बह रहा था| कोई मामा या मामा प्रजाति का कोई प्राणी वहां मौजूद नहीं था.... और एकदम डेड-लाक वाली स्थिति थी..... कोई भी बंदा गड्डी पीछे लेने को तैयार नहीं और बड़े बड़े ट्रकों के बीच.... कुछ कारें... और बड़ी बड़ी बसें.... और बारिश पूरे उफान पर.... बहुत मुश्किल से पहला सर्कल से दायें मारा.... कोशिश यह थी की पीछे वाला रास्ता लिया जाये ताकि बेयर हॉउस तक पहुंचा जा सके.... बस यहाँ एक और बात सुनिए.... अगले सर्कल पर और भी बड़ा सर्कस था..... मामा तो यहाँ भी नहीं था..... और यहाँ ट्रकों और बसों ने कुछ ऐसा समां बंधा था की उसकी कोई भी संज्ञा नहीं हो सकती.... पूरे दो घंटे के जद्दोजहद के बाद किसी तरह से बड़े बड़े ट्रकों से अपनी गाड़ी को बचाते (वाकई में किसी तरह से बचाया... नहीं तो ट्रकों ने जान ही ले ली थी) पिज्जा हट वाले तिराहे पर पहुंचा..... मुझे यहाँ पर प्रशासन और सरकारी तंत्र पर सबसे ज्यादा क्रोध आया..... भाई कम से कम यहाँ तो किसी मामा प्रजाति के प्राणी की उपस्थिति होनी चाहिए थी...... मगर नहीं थी.... बसों ट्रकों.... और कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों ने आई आई टी के सामने के "आदि शंकराचार्य मार्ग" पर बहुत भारी जाम पैदा कर दिया था..... कोई मामा.... कोई प्रशासन..... कोई हवलदार..... कोई नज़र नहीं आया...... साहब बीच का डिवाईडर जिसे बारिश से पहले भर देना चाहिए था.... वह भी खुला हुआ था.... एक ज़रा सी भी चुक आपको दो फिट गढ्ढे में घुसेड़ने के लिए मुह फैलाये बैठा था..... आगे आई आई टी गेट के सिग्नल.... और फिर लिंक रोड जंक्सन के सिग्नल..... कहीं भी कोई मामा नहीं.... गांधी नगर फ्लाय-ओवर के आगे जो एल बी एस से ट्राफिक आता है उसको नियंत्रित करने और बृज के ट्राफिक को नियंत्रण करने के लिए..... कोई मामा नहीं..... आखिर प्रशासन ठर्रा मार के सो रहा था..... आखिर मुम्बई जैसे शहर में जहाँ प्रशासन हर साल बड़े बड़े दावे करता है वाहन असली हकीकत उसको ही पता है जो सड़क पर मौजूद है......

आज मेरे मुम्बई के प्रशासन (अगर कहीं है तो) से कुछ प्रश्न हैं.... जिनके उत्तर मुझे चाहिए.....

१) मुम्बई शहर की ट्रक नीति क्या है.... आखिर पीक ट्राफिक पर शहर के अन्दर ट्रक क्यों चल रहे हैं ?
२) आखिर कचरा उठाने वाली गाड़ियाँ सड़क पर पीक ट्राफिक के टाइम क्यों चलती हैं.... ?
३) आखिर मौसम की बारिश के लिए सरकारी अमला तैयार था..... या फिर सबको घर भेज दिया गया बारिश का आनंद लेने के लिए.... ?
४) आखिर पवई के रास्ते के डिवाईडर कब तक भरे जायेंगे.... अगर नहीं तो फिर अगर उसमे कोई गाड़ी गिर जाएगी तो उसकी ज़िम्मेदारी आखिर कौन लेगा...?
५) जो भी छोटे रास्ते जो हाइवे को कनेक्ट करते हैं, कम से कम ऐसे रास्तों पर ट्राफिक हवलदार मौजूद क्यों नहीं थे...?
६) आखिर सरकारी अमला पहले कोई चेतावनी क्यों नहीं देता...?
७) बस स्टाप खुले हुए क्यों हैं... आई आई टी जैसे स्थान पर भी केवल बेस्ट का एक डंडा गदा हुआ है जो ये बताता है की यह जगह बस स्टाप है...?
८) आखिर बेस्ट बस के ड्राइवर अपनी मनमानी क्यों करते हैं... ?
९) कब तक मुम्बई बारिश में पानी पानी होती रहेगी...
१०) आखिर बी एम् सी ने मुख्य सड़कों का काम समय रहते क्यों पूरा नहीं किया.... किस चीज की प्रतीक्षा थी?
११) आखिर सिग्नलों की मरम्मत का काम क्यों नहीं किया, सारे सिग्नल पहली ही बारिश में फ़ेल क्यों हुए?

यहाँ एक बात मैं बहुत जोर देकर कहना चाहूँगा.... ट्रकों को लेकर हर शहर की अपनी अपनी नीति होती है, मुम्बई की नीति स्पष्ट नहीं है? आखिर प्रशासन अपनी कचरा गाड़ियों को भी नियंत्रण में नहीं रख सकता? गंदगी फैलाती हुई यह बदबूदार... अन-हाइजीनिक गाड़ियाँ पीक टाइम पर सड़क पर क्या कर रही हैं..?

आज की पोस्ट एक कुंठा दिखा रही है.... सच मानू तो आपमें से भी कईयों ने ऐसा ही कुछ झेला होगा..... बल्कि शायद इससे भी कहीं अधिक बुरा.... यार अगर प्रशासन गाड़ियों की अधिकता और लोगों की ड्राइविंग को दोष देगा... तो मैं आइना दिखा देता हूँ.... मुम्बई जित्ती चौड़ी सड़के पेरिस और फ्रैंकफर्ट की भी नहीं हैं.... यहाँ नीति नहीं है सरकार की... और सरकारी मामा लोग केवल रिश्वत लेकर अपना तोंद फुला रहे हैं....

वैसे मुझे पूरा यकीन है की मेरी इस पोस्ट का कुछ असर नहीं होगा.... क्योंकि अब हिंदुस्तान आज़ाद है.... देखिए एक तंत्र बना रखा है.... एक ट्रक शहर के अन्दर आएगा तो उसपे कितना रिश्वत का चार्ज लगाना है.... एक एक इंट्री पर कोई ख़ुफ़िया आपरेसन चलाये तो पा जायेगा की कम से कम करोडो में आमदनी होगी.... जिसका हिस्सा संतरी से लेकर मंत्री तक खायेंगे... जब ऐसी कमाई और सोने का अंडा देने वाली मुर्गी है तो फिर सरकारी अमला ऐसी मुर्गी को हलाल क्यों करेगा.... भगवान् जाने इस मुम्बई का आने वाली बारिश में क्या होगा..... दो किलोमीटर चलने में लगे दो घंटा और बीस मिनट.... चलिए भाई अभी तो झांकी है.... सावन भादो अभी बाकी है....

-देव

7 टिप्‍पणियां:

दिलीप ने कहा…

sirji khud hi sawaal uthaye aur khud hi ant me javaab bhi de diya....behre hain sunenge nahi...inhe to dhamake bhi nahi suna sakte....

Dev K Jha ने कहा…

दिलीप भाई, सच बात है यह..... यह आजाद भारत है.... यहां कुछ भी नहीं होने वाला.

शिवम् मिश्रा ने कहा…

इस देश मेँ आप की बात सुनने की फुरसत किस को हैँ ।

ghughutibasuti ने कहा…

मेरे घर के पीछे एक फ्लाईओवर है जिसकी सड़कें बिल्कुल बढ़िया स्थिति में थीं। किन्तु महीनों से उन्हें न जाने क्यों तोड़ा और दोबारा बनाया जा रहा है। बारिश आ गई है और काम जारी है।
ट्रक वाली बात मुझे भी समझ नहीं आई।
दफ्तर से आने जाने को भी तीर्थ यात्रा सा मान साथ में सत्तू, पानी दवा आदि लेकर चलना चाहिए। क्या पता कब कितने घंटे फंसना पड़े। हाँ, एक पोर्टेबल पॉटी या युरिनल भी और एक पर्दा भी।
घुघूती बासूती

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

बहुत अच्छी और शानदार पोस्ट....

Udan Tashtari ने कहा…

उम्मीद ही कर सकते हैं किकिन्हीं कानों तक यह बातें पहुँचें.

संजय भास्‍कर ने कहा…

आखिर प्रशासन अपनी कचरा गाड़ियों को भी नियंत्रण में नहीं रख सकता? गंदगी फैलाती हुई यह बदबूदार... अन-हाइजीनिक गाड़ियाँ पीक टाइम पर सड़क पर क्या कर रही हैं..?

बहुत अच्छी और शानदार पोस्ट....