बालक की बाल लीला मन को मोहित कर देती है.... आज कल नित नई लीलाएं और नये नये अदभुत करिष्में हमें चकित कर देते हैं। सात महीने के आदित्य बाबा रोज कुछ नया करते हैं, रोजाना एक नयी हरकत हमें मोहित कर देती है । कभी सोचता हूँ हमनें भी अपनें माता पिता को कितना परेशान किया होगा। रोज नयी हरकत, रोज कुछ नया....... कभी कोई नयी मुख-मुद्रा तो कभी नई मुस्कुराहट... कभी रोनें का नया स्वर... कभी पलटी खानें की कोशिश तो कभी पलटी न खा पानें पर या हाथ फ़ंस जानें पर चिल्लाते हुए किसी को मदद के लिए पुकारना... मैं और मनीषा हम दोनों को पूरी तरह व्यस्त रखनें की कला अच्छे से जानते हैं हमारे आदि बाबा। क्षण भर कम्प्यूटर पर आए तो फ़िर उनको भी आना है। हमारा टैब तो उनको खास प्रिय है।
कभी रात भर सोनें न देना... तो कभी दिन भर खेल खेल कर सबका मन मोह लेना.... आज कल इस कोनें से उस कोनें मे अलटी पलटी मार मार कर घूमते रहते हैं... इनकी निगरानी ही हमारा एकमात्र काम है। हम भी जीवन के इस रूप का आनन्द लेते हुए मौज में हैं।
देखिए इन चित्रों को...
दिन भर आफ़िस में काम करनें के बाद यदि आप घर आएं और आपका इंतज़ार एक मुस्कुराहट से हो तो फ़िर क्या कहनें... मेरे कांधे पर सर टिकाकर कितने आराम से सो जाता है। हम भी कितनी शान्ति से घर के हर शोर को बन्द करके सोनें के लिए एक माहौल बनाते हैं। टीवी बन्द, खिडकियां बन्द ताकि शोर घर में न आए और हमारा बालक शान्ति से सो सके।
आदि को खाना खिलाना भी बडा मुश्किल है, लेकिन यह काम मनीषा बडी बखूबी से कर लेती है। मुझे लगता था की मनीषा को दिक्कत होगी लेकिन वह बडी आसानी से इस काम को पूरा कर लेती है। कैसी अजीब हरकते करते हुए आदि को खिलाना पडता है। कभी टीवी पर कुछ दिखाते हुए तो कभी मोबाईल में गाना सुनाते हुए आदि को बहला के कितनी आसानी से खिला देती है। हम केवल दोनो को देखते रहते हैं।
मित्रों हम आदि बाबा की बाल लीलाओं की पोस्ट लिखते रहेंगे, आशा है की आप आनंद लेते रहेंगे और हमारे बालक को अपना आशीष और अनुराग देते रहेंगे
कभी रात भर सोनें न देना... तो कभी दिन भर खेल खेल कर सबका मन मोह लेना.... आज कल इस कोनें से उस कोनें मे अलटी पलटी मार मार कर घूमते रहते हैं... इनकी निगरानी ही हमारा एकमात्र काम है। हम भी जीवन के इस रूप का आनन्द लेते हुए मौज में हैं।
देखिए इन चित्रों को...
दिन भर आफ़िस में काम करनें के बाद यदि आप घर आएं और आपका इंतज़ार एक मुस्कुराहट से हो तो फ़िर क्या कहनें... मेरे कांधे पर सर टिकाकर कितने आराम से सो जाता है। हम भी कितनी शान्ति से घर के हर शोर को बन्द करके सोनें के लिए एक माहौल बनाते हैं। टीवी बन्द, खिडकियां बन्द ताकि शोर घर में न आए और हमारा बालक शान्ति से सो सके।
आदि को खाना खिलाना भी बडा मुश्किल है, लेकिन यह काम मनीषा बडी बखूबी से कर लेती है। मुझे लगता था की मनीषा को दिक्कत होगी लेकिन वह बडी आसानी से इस काम को पूरा कर लेती है। कैसी अजीब हरकते करते हुए आदि को खिलाना पडता है। कभी टीवी पर कुछ दिखाते हुए तो कभी मोबाईल में गाना सुनाते हुए आदि को बहला के कितनी आसानी से खिला देती है। हम केवल दोनो को देखते रहते हैं।
मित्रों हम आदि बाबा की बाल लीलाओं की पोस्ट लिखते रहेंगे, आशा है की आप आनंद लेते रहेंगे और हमारे बालक को अपना आशीष और अनुराग देते रहेंगे
3 टिप्पणियां:
ha ha ha...mast...ekdam superstar type lag raha hai aadi...:)
आदित्यजी की बाललीलायें निश्चय ही मनमोहक हैं, ऐसे ही लिखते रहें।
मेरे आदि को मेरी भी उम्र लग जाये ... सदा खुश रहो मेरे बच्चे !
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