रविवार, 16 जून 2013

आठ मास का आदि और फ़ादर्स डे....

कभी सोचता हूं, यह मन जितना पाता है उससे अधिक की अभिलाषा कर बैठता है न। आज कल आदित्य की रोज नई हरकत मन को कितना सुख देती है। बेटे नें नया नया घिसकना शुरु किया है और आज कल पूरा घर भर में घूम घूम कर हर सामान को निगरानी की तरह देखता है और उठा के मुंह में लेने और स्वाद चखनें के मूड में रहता है। अब आदि चाय की प्याली में, खानें की प्लेट में, घर के हर सामान में अपनें मतलब की चीज़ खोज लाता है। आज का दिन वैसे भी खास है... आज तो हमारा आदित्य पूरे आठ महीने का हो गया और आज फ़ादर्स डे भी है। तो भाई डबल खुशी का मौका इस झमाझम होती बरसात से और भी बढ गया है। पापा और बेटा को कितना अच्छा समय मिल रहा है एक साथ सोनें और मम्मा को परेशान करनें का।

आज कल आदित्य को घर के हर कोनें में घुसनें में बडा आनन्द आता है...  स्टूल के नीचे पडे अखबार को लेने के लिए वह स्टूल के नीचे घुस गया, बाद में न निकल पानें के कारण ज़ोर ज़ोर से चिल्ला कर सबको बुलाया। आदित्य को अखबार फ़ाडना बहुत पसन्द है... एक मिनट के अन्दर वह पूरे अखबार को पढ के चिन्दी चिन्दी कर देता है :-D | देखिए इस चित्र को...



आदित्य को गेंद से खेलना बहुत पसन्द है। वह इसे लेकर सोता भी है... और हर जगह लेकर जाता है।






आदित्य ने जबसे खिसकना और घुटने देकर चलना शुरु किया है, हमारा काम बहुत बढ गया है। पहले अस्त व्यस्त रहनें वाला घर अब एकदम ठीक रहनें लगा है। कोई भी चीज़ नीचे रखी नहीं जा सकती। क्या मालूम कब हमारे बाबा जी किसी भी चीज़ को उठा कर खाने लग जाएं।

आदित्य को मोबाईल और रिमोट बहुत प्रिय है, कितना भी बचाओ अगर इनकी नज़र पडी तो फ़िर इन्हे वह चाहिए। देखिए रात में सोने के समय हमारे मोबाईल को ऐसे देख रहे हैं जैसे पूरे दिन की प्लानिंग ब्लैकबेरी से ही करेंगे।


और यह देखिए स्नान के बाद चिंतन की मुद्रा में आदित्य बाबा 



हमारे लिए बहुत आनन्द का समय है.... हम तो भाई आज अपनें पहले फ़ादर्स डे पर बहुत खुश है। सुबह सुबह पापा नें आज हमको बधाई दी... मन खुश हो गया।


8 टिप्‍पणियां:

विवेक रस्तोगी ने कहा…

बाल लीलाएँ अजब गजब होती हैं..

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की फदर्स डे स्पेशल बुलेटिन कहीं पापा को कहना न पड़े,"मैं हार गया" - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

khubsurat AADI aur uske papa ko shubhkamnayen.......

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत है आदि

Dev K Jha ने कहा…

वाकई बालक की बाल लीलाएं गजब होती हैं... एक नया अनुभव है यह।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जिज्ञासापूर्ण और रोचकता से भरा बचपन।

शिवम् मिश्रा ने कहा…

तुम से ज्यादा समझदार है हमारा आदि ... अबे अखबार मे जब कोई काम का ख़बर होगा नहीं तो गुस्सा नहीं आएगा क्या ... समझता नहीं है यार ... ;)

Jyoti khare ने कहा…

बाल लीला करता आदि
बहुत सुंदर

आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
पापा ---------