मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

जन्मदिन का सप्ताह और महाबलेश्वर की यात्रा....


मित्रों सबसे पहले आप सभी का आभार जो आप सभी नें जन्मदिन की शुभकामनाएं ब्लाग और फ़ेसबुक के माध्यम पर दी.... पहली बार विशिष्ट होनें सा आभास हुआ :-)अम्मा और पापा मुम्बई में खास हमारे जन्मदिन के कारण ही आए थे, देव बाबा नें एक वर्ष का अनुभव और प्राप्त कर लिया... इस खुशी के सेलेब्रेशन के लिए देव बाबा अम्मा पापा और मनीषा जी के साथ मुम्बई से महाबलेश्वर की यात्रा पर निकले.... विस्तार से यात्रा वर्णन पढिए.....

यात्रा: मुम्बई से महाबलेश्वर
यात्री: देव बाबा, अम्मा और पापा, मनीषा
यात्रा का माध्यम: जम्बो (हमारा रिट्ज़)

मुम्बई - लोनावला - पुणे - पुणे बायपास - वाई फ़ाटा - पसरनी घाट - पंचगनी - महाबलेश्वर

इस यात्रा की पूरी दूरी कोई २६० किमी के आस पास रही होगी.... गाडी में खानें पीने का सामान, कुछ दवाईयां और पीने के पानी की व्यवस्था लेकर हम दोपहर २:१५ पर निकले..... सोमवार का दिन और किसी प्रकार का कोई व्यवधान नहीं, रास्ता एकदम खाली..... पहले विराम यानी की खालापुर टोलनाका तक की दूरी थी कोई ५० किलोमीटर..... इस ५० किमी की दूरी हमनें केवल २५ मिनट में तय की, यही कोई १५०-१६० किमी की रफ़्तार से खाली रास्ते का पूरा फ़ायदा लिया...  



यह हमारा अब तक का सबसे बेहतरीन परफ़ार्मेंस था. (रैली की तैयारी आज कल जोरो पर है भाई)..... जम्बो बडी आसानी से १५० और १६० की रफ़्तार पर भाग रहा था..... असल में मुम्बई पुने एक्सप्रेस वे का यह चरण एकदम सीधा है और आप इस पर आसानी से तेज़ गाडी चला सकते हैं.... इसके बाद का चरण थोडा घुमावदार और खंडाला, लोनावला घाट सेक्शन पर तो आप सावधानी से ही चलें तो बेहतर है.....  सो भाई यहां खालापुर टोल नाका पर टोल दिया गया १६५ रुपये (पुने तक का)..... इस बार-कोड धारी टोल पर्ची संभाल के रख लीजिए क्योंकि वह आगे एक्स्प्रेस के निकास पर दिखाना होगा...  यह लीजिए इसके बाद हम चले कुछ पेट पूजा की ओर और फ़ूडमाल पर आधे घंटे का विराम हुआ......  

यात्रा के दूसरे चरण में खंडाला घाट और पुणे बायपास होते हुए एन एच-४ होते हुए वाय फ़ाटा तक पहुचना था..... लगभग १५० किमी का रास्ता.... घाट के रास्ते पर धीरे धीरे चलते हुए हमनें वाय फ़ाटा शाम ५ बजे तक पार कर लिया... 
वाई फ़ाटा से पसरनी घाट का रास्ता लेकर पंचगनी होते हुए महाबलेश्वर तक जाना था... पसरनी घाट एकदम जलेबी-नुमा रास्ता होनें के कारण ड्राईविंग स्किल्स टेस्ट करनें के लिए बढिया जगह है....यदि आप महाबलेश्वर/ पंचगनी इसी रास्ते जायें तो वाहन धीरे और नियंत्रण में चलाएं... एक ज़रा सी गलती आपको बडी मुसीबत में डाल सकती है....  

यहां से पंचगनी होते हुए महाबलेश्वर शाम ७ बजे आ गये थे.....   महाबलेश्वर के बस डिपो के पास आपको बहुत से गाईड, होटल के एजेण्ट मिल जायेंगे और आपको होटल/ काटेज़/ रिसोर्ट के चित्र दिखाएंगे और आपको फ़ांसनें के पूरे प्रयास करेंगे.... बहरहाल हमें अपने हिसाब से एक होटल मिल गया..... शाम की चाय का आनन्द लेनें के बाद महाबलेश्वर मार्केट की ओर निकल आये....रात के खानें के बाद आराम किया गया..... 

यात्रा के इस चरण की कुल दूरी थी २६१ किमी और समय पांच घंटे... :-) 

अगले दिन की महाबलेश्वर यात्रा :

महाबलेश्वर श्री-क्षेत्र


यह नक्शा है श्री-क्षेत्र महाबलेश्वर का.... फ़ोटो पे क्लिक करनें पर बडे आकार में दिखेगा....  (नोकिया-ई-६)



महाबलेश्वर और अति-बलेश्वर महादेव मंदिर

महाबलेश्वर महादेव मंदिर एक स्वयं-भू ज्योतिर्लिंग है, साढे चार हज़ार साल पुराना मंदिर.... मंदिर के शिलालेख भारतीय निर्माण कला का एक अभूतपूर्व दर्शन.... रखरखाव की कमी के कारण अब जीर्ण-शीर्ण हालत में.... लेकिन मुख्य मंदिर चट्टानों के बीच एक गुफ़ा-नुमा संरचना के अन्दर है... यहां आनें पर आपको एक अनन्त शान्ति का अनुभव होगा... मंदिर के अन्दर जलते हुए घी के दिये और वहां होनें वाले शिव की वन्दना आपका मन मोह लेगी....



जय महाबलेश्वर महादेवाय नमः 
(यहां कैमरे बन्द रखनें थे सो चित्र नहीं ले पाए)

यहां से कुछ कदम की दूरी पर अति-बलेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर है.... इस मंदिर के चित्र


नंदी बाबा के साथ हमारी अम्मा और धर्मपत्नी 



पंचगंगा मंदिर:




महाबलेश्वर महादेव मंदिर के बगल में स्थित पंचगंगा मंदिर..... यह मंदिर एक दैवीय आभास देता है.... पांच नदियों (वेन्ना, कृष्णा, कोयना, सावित्री, गायत्री)  के उदगम स्थल... सरस्वती और भागीरथी की धारा का हर ६०वे और १२वे वर्ष आना और यहां के ब्रम्ह कुंड में गुप्त रूप से निवास करना एक दिव्य अनुभूति देता है.... मंदिर के अन्दर गो-मुख से निकलती हुई धारा सत्य रूप को दर्शाती है.....  अलौकिक शान्ति का अनुभव....  यहां कैमरे बन्द रखनें थे सो हम चित्र नहीं ले पाए....



यदि आप महाबलेश्वर आए तो पंचगंगा मंदिर की जलधारा का जलपान अवश्य करें... 

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इसके पश्चात हम लोग बढे महाबलेश्वर के प्वाईटस की ओर....   

केट्स प्वाईट... इको प्वाईट... और नीडल होल प्वाईंट....

इको प्वाईंट की विशेषता यह है की आप ज़ोर से कुछ चिल्लाईए और फ़िर चट्टानों से टकराकर उस आवाज़ की प्रतिध्वनि आएगी.... यहां लोग अपनी पत्नी, गर्ल-फ़्रेंड का नाम चिल्ला रहे थे.... शायद इनके प्रेम के प्रदर्शन का यह सार्वजनिक ढंग कुछ लोगों को अभद्र लग सकता था... लेकिन जो भी था... अच्छा था... :-)

केट्स प्वांईट के कुछ चित्र....






महाबलेश्वर घाटी... 


फ़ैमिली फ़ोटो... 


यह नन्हा प्राणी हमें बडा प्यारा लग रहा था... 

जूंए बीन लो

इसके बगल में नीडल होल प्वाईंट.... देखिए यह रहा...



देव बाबा पोज़ मार रहे हैं.....


जम्बो..... 

वेन्ना लेक







सो मित्रों, महाबलेश्वर की यात्रा ऐसी रही की क्या कहें......

10 टिप्‍पणियां:

शिवम् मिश्रा ने कहा…

सही है देव बाबु ... आप सब के साथ हम भी घूम लिए ... अम्मा बाबूजी का साथ जन्मदिन को और भी खास बना गया होगा इस में कोई शक नहीं !

सदा ने कहा…

सचित्र प्रस्‍तुति बहुत ही अच्‍छी लगी ... शुभकामनाओं के साथ बधाई ।

अजय कुमार झा ने कहा…

जय हो ,,,,,देव बबा अगेन जनमदिन बहुत बहुत मुबारक हो जी । हां चित्र भी बता रहे हैं कि यादगार रहेगा ये दिन
शुभकामनाएं

Dev K Jha ने कहा…

अजय भईया की जै हो.... धन्यवाद धन्यवाद....

Dev K Jha ने कहा…

धन्यवाद शिवम भईया...

Dev K Jha ने कहा…

सदा जी, धन्यवाद :-)

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

आप तो ड्राइविंग में उस्ताद लगते हैं, बड़ा ही रोचक वर्णन..

Dev K Jha ने कहा…

धन्यवाद प्रवीण भाई जी
हमको ट्रैक मिले तो फ़िर हम कार को हवाई जहाज़ बना दें.... :-P

कविता रावत ने कहा…

Dev ji pahle to janmdin ki badhai.. aur phir itne sudnar chitron ke madhyam se yaatra vratant prastuti ke liye dhanyvad.
.spariwar dhoomne-firne ka ek alag hi maja hai...sach mujhe bhi apnr pariwar ke saath ghoomne-firne mein bada anand aata hai... bhale hi yah ghar grahsthi ke chalte yah yathrayen kabhi kabhar hi ho paati hain...

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

bombay hi rahti hoo or shrm aa rahi hei ki kabhi yaha kyo nahi gai ...dhanywad yaha dhumane ka !