बोलो जय राम जी की....
मालिक आज सुबह सुबह फड्डा हो गया.... या यूँ कहें की फड्डे पे फड्डा हो गया.... यार बहु राष्ट्रीय कम्पनिओं की मार तो पहले ही पड़ी थी.... ससुरा रात में सोने में लेट हो गया और फिर सुबह सुबह जो घंटी बजाई वाच मैन ने की क्या कहूँ.... बोलता है साहेब तुमाला गाड़ी अन-लोक आहे..... मेरा दिमाग ख़राब.... इ का गजब किये देव बाबा..... रात भर गड्डी बिना वह भी खुली हुई.... अबे जब टाइम ख़राब हो तो फिर तो कुछ भी गजब हो सकता है, अभी तो गड्डी सोसाइटी के वाच-मैनो ने निगरानी में रखी और फिर सुबह मुझे बता दिया की गड्डी खुली हुई है........... वैसे चेक कर लिए गड्डी में तो वैसे भी कोई कीमती चीज नहीं रखते देव बाबा फिर भी गड्डी ही क्या कम थी..... बच गयी :)
अभी रात की नींद भी नहीं टूटी थी और सुबह सुबह के झटके से उबर कर एक और नींद सोने के प्रयास में लेता हुआ था की तभी एक और झटका.... घंटी फिर बजी..... दो मित्र आए थे मिलने..... हम बोले यार यही टाइम मिला तुमको..... कुछ और टाइम पे आते..... मगर साहब नहीं..... आये और फिर आधे घंटे बैठे..... और फिर कुछ चाय नाश्ता करके फिर चलते बने...... यार मेहमान भगवान् का रूप होता है मगर आज कल के ज़माने में भगवान् को भी टाइम देख कर आना चाहिए ना.... रविवार सुबह की नींद बिगाड़ के आने का क्या मतलब.... :) वैसे जब नींद बुरी तरह से उचाट ही चुकी थी फिर तिबारा ट्राई नहीं किया और अब जागना ही पड़ा..... सोचा रविवार सुबह देव बाबा के फड्डे आप लोगों को भी सुनाता चलू..... थोडा रायता इधर भी फैलाता चलूँ..... अभी देव बाबा की तो नींद खुल चुकी है और अब रविवार का दिन शुरू हो चुका है.... देखते हैं आज कौन कौन से झंडे गाड़ते हैं देव बाबा.....
फिलहाल तो रविवार की सुबह को और आपको नींद से जगाता यह गीत लीजिये......
-देव
12 टिप्पणियां:
tabhi to kehte hai Dev baba ki jai....ho
ab to jago mohan payare ji...
wake up kid ...sid ...dev :)
इन महमानों-भगवानों को मारो गोली...नहीं?
गीत के लिए धन्यवाद...
बेटा जे यह बात बहुरिया के पता चली तो बहुतही पिटबे करोगे !!
हा हा, बहुरिया के बतहिए कौन, ऊ हमनी के ब्लाग नाही देखत बानी।
तबहिए त ब्लाग पर डाले, नाही तो चुप्पे से भग लेते ना :)
उत्तम।
मैं तो अभी सो कर उठा हूँ..... अआह.......ईईईई ............अआह........हा.............. (अंगड़ाई ले रहा हूँ...)
Tahar blog p ailin t neek lagal. niji anubhav k jawan sansar banavale bad, u bahute logan ke aapan lage t kavano achraj na. bahut shubhkamana ba.
ये गीत पहली बार देख रहा हूँ ;-)
शायद इसी कारण सो रहा था. खैर रविवार की सायं हो चुकी है और क्या बताएं क्या-क्या उखाड़ा !!
बस औंधे होके पड़े थे.
अपन के कोई मित्र-मण्डली ज्यादा बड़ी नहीं है. कुल दो ही तो दोस्त हैं. एक राजीव और दूसरा देव.
संयोग से दोनों ही अपन हैं. अतः समस्या होने का प्रश्न ही नहीं है.
ही ही ही
बढिया गीत।
उत्तम प्रस्तुति!
गीत के लिए धन्यवाद...
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