मंगलवार, 28 जुलाई 2015

कलाम साहब अमर रहें.....

भारत का राष्ट्रपति हमेशा से केवल एक पद ही था, रबर स्टैम्प जैसा जो सिर्फ सरकार की हाँ में हाँ मिलाए। कहने को तो उसे तीनो सेनाओं का प्रमुख कहा जाता है लेकिन संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति के पास कोई अधिकार नहीं हैं। हाँ कुछ विपरीत परिस्थिति में वीटो का अधिकार है जो ज्ञानी ज़ैल सिंह ने उपयोग किया था। हमेशा से राष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्रिमंडल और प्रधानमन्त्री की संस्तुति पर अपना सिक्का मारने वाला स्टैम्प ही दीखता रहा। चूँकि राष्ट्रपति, जनता द्वारा सीधे चुना नहीं जाता इसलिए आम आदमी को कभी राष्ट्रपति से कोई फर्क नहीं पड़ता था। इस मिथक को तोड़ा कलाम साहब ने। कलाम साहब को राष्ट्रपति बनाने वाले वाजपेयी साहब बधाई के पात्र हैं क्योंकि इसके बाद राष्ट्रपति पद की गरिमा बहुत बढ़ गयी। कलाम के विचारों, किताबों ने देश और विदेश तक भारत का गौरव बढ़ाया।

जब यूनाइटेड नेशन भी कलाम के जन्म दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की बात करता है तब इससे भारत की कीर्ति बढ़ती है। देश, धर्म, काल खंड और सीमाओं से परे थे कलाम साहब। मुझे एक वाक्या याद आता है जब कलाम साहब बनारस पधारे थे तब बीएचयू में अपने दीक्षांत समारोह के बाद चाय की गुमटी में चाय पीने चले गए थे। उस चाय की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा था, "Try this, you won't get that taste in five star hotel (ऐसा स्वाद पांच सितारा होटल में भी नहीं मिलेगा)"। ऐसी सादगी, ऐसा भोलापन, वह बच्चों के लिए बच्चे थे... अंतिम समय तक काम ही करते रहे।

मैंने ज़िन्दगी में पहली अंग्रेजी की किताब "Wings of Fire" ही पढ़ी थी, उसे भी पहले हिंदी और फिर अंग्रेजी में। दूसरी "Ignited minds"... कलाम साहब ने कई लोगों की ज़िन्दगी बदली है। जब कभी अपनी टीम में मुझे कोई दिक्कत होती है, लीडरशिप या मोटिवेशन या कभी ऑफिस की किसी बात पर मन विचलित हो, मैं यूट्यूब पर सिर्फ कलाम साहब का नाम टाइप करके उनको सिर्फ दस मिनट सुन लेता हूँ। हर बार कुछ नया सिखा जाते हैं कलाम साहब।

कलाम साहब का जाना किसी धक्के की तरह है, अपने परिवार के किसी सदस्य के खो जाने जैसा सदमा है यह।

"कलाम हमेशा ज़िंदा रहेंगे, कलाम मरा नहीं करते"।

1 टिप्पणी:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

नमन है कलाम साहब को ...