अबे ठेठ बनारसी रंग चढ जाए तो फ़िर क्या हो.... पूरी दुनियां एक तरफ़ और एक तरफ़ केवल एक बनारसी, तब्बो भारी पडेगा.. ई बनारस का रंग है बाबू, एक बेर चढा के देखS ह चच्चा....
एक बेर एक ठो नेता जी का रेला जा रहा था, पूरा टिरैफ़िक जाम अऊर सबहीं के दिमाग खराब.... ओही भीड में एक ठो ठेठ बाबू निकले... और डाइरेक्ट नेताजी को बोल दिए... का महाराज, हटईब के नाहीं ई तोहार रेलम पेल... तू त चल जईब संसद इहां घामै स दिमाग खराब ह रहल बानी.... नेता जी ह महाराज तोहरै के भोट दईबै लेकिन ई रस्ता तनि चालू करा है महाराज.... बूझे के नाहीं?
एक बेर एक ठो दुकान पर हम सामान खरीद लिए फ़िर पईसा देंगे ओही खातिर जेब में हाथ डालै त का देखे एक बच्चा (मुश्किल से चार पांच साल) बोला हे चच्चा पईसा देबS की नाहीं... हम भी त ठेठ बनरसिये न हैं, बोले ना दईब तोहार पईसवा... जा अपनै बाप के कह हमनी से ऊसूल कर लिहैं....
एक बेर युनिभर्सिटी गेट पे कोनो किताब खरीदने गये, दुकानदार पूछ दिया इहै कालेज में पढत हऊआ के हे महाराज.. हम कहे हां, तब काहे अंग्रेजी बतियाबत हऊआ रे मर्दै....
ई तीन इन्सीडेंट इहैं लिख के खाली इहै बताए हैं की कुच्छो करिहं लेकीन कोनो बनारसी से पंगा मोल न लीहS....बनारसी आदमी डायरेक्ट बात करनें में बिलीब करता है... कोनो फ़ारमलटी नहीं.... गुरु तू हऊआ पिरधानमंत्री लेकिन अपनै घरै.......
4 टिप्पणियां:
समझ गए महाराज ... लेकिन एक बात हम भी कहे दे रहे है ... हम मैनपुरी वाले भी कुछ कुछ ऐसे ही है तो बाबू जान लो तुम भी कि ...गुरु तू हऊआ पिरधानमंत्री लेकिन अपनै घरै....... का समझे ... ;-)
हा हा हा होईब पिरधान त अपना घरे ..हा हा हा जे बात ।
जय हो देव बाबा , जय बाबा काशी विश्वनाथ की । जय बनारस ।
देखी तुम्हरी कासी लोगों देखी तुम्हरी कासी
जहाँ विराजें विश्वनाथ विश्वेश्वर जी अविनासी
घाट जाएँ तो गंगा पुत्तर नोचे दे गलफाँसी
आधी कासी भाँड़ भंडेरिया लुच्चे और सन्यासी।
बोलो जै बनारस......
काशी विश्वनाथ की जय!
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