माता-पिता
बोध
संसार का
बोध
सत्य और असत्य का
बोध
ऊंच और नीच का
हे पिता
पाया बस आप ही से पाया
जीने का साहस
बुद्दि और विवेक
और धैर्य
हे पिता
पाया बस आप ही से पाया
और हे मां
तुझसे पायी ममता
निःस्वार्थ भाव भक्ति
प्रेम और करुणा
भावनाओं की अभिव्यक्ति
कभी भी
पीछे ना हटनें का साहस
हें पिता और माता
धन्य हुआ जीवन
धन्य हुआ यह तन मन
हे मां... हे पिता...
बोध
संसार का
बोध
सत्य और असत्य का
बोध
ऊंच और नीच का
हे पिता
पाया बस आप ही से पाया
जीने का साहस
बुद्दि और विवेक
और धैर्य
हे पिता
पाया बस आप ही से पाया
और हे मां
तुझसे पायी ममता
निःस्वार्थ भाव भक्ति
प्रेम और करुणा
भावनाओं की अभिव्यक्ति
कभी भी
पीछे ना हटनें का साहस
हें पिता और माता
धन्य हुआ जीवन
धन्य हुआ यह तन मन
हे मां... हे पिता...
9 टिप्पणियां:
mast.. :)
जय हो ...
मातृदेवो भवः, पितृदेवो भवः ...
शब्दशः सच
हें पिता और माता
धन्य हुआ जीवन
धन्य हुआ यह तन मन
हे मां... हे पिता...
बहुत खूब !!
मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई…
यह एक सम्मान है- अनुकरणीय
बहुत ही बढि़या ...आभार ।
आप का ह्र्दय से बहुत बहुत
धन्यवाद,
इस कविता के लिए देव भाई
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