आज ऑफिस से घर आते समय गाड़ी में हमारे मित्र ने एक किस्सा सुनाया.... आज कल की राजनीतिक हालत पर एकदम सही ....
एक बार जंगल में जानवरों ने बगावत कर दी... बोलो अब शेर को राजा पद से हटाओ... और चुनाव कराओ.... बस तो फिर क्या था... महाभियोग लगाके शेर को हटाया गया.... और जंगल में चुनाव करे गए.... चुनाव के बाद बन्दर दो-तिहाई बहुमत के साथ राजा घोषित हुआ... बन्दर भी राजा बन के खुश हुआ... पूरा दरबार बंदरो से भर गया... शेर बेचारा चुपचाप जंगल निकाल लिया....
अगले दिन शेर के राज छिन जाने के बाद जंगल से सारे प्राणी खुश हुआ... खुन्नस खाया शेर एक हिरन को पकड़ के लगा पीटने.... हिरन भी शेर के हाथो मार खा के चिल्लाया.... राजा अरे ओ बन्दर राजा... बचाओ बन्दर आया.... एक पेड़ से दुसरे पेड़.... दुसरे से तीसरे... और लगा यहाँ से वहां कूदने... गुलाटियां मारने.... मार खाते अपने साथी को देख कर, बाकी हिरन बोले... अरे ओ राजा बन्दर.... बचाओ ना... हमारा साथी पिट रहा है.... लेकिन बन्दर ने अपनी इस डाल से उस डाल की कूद फान जारी रख्खी.... मामला जब आगे बढा तो फिर बाकी प्राणियों ने भी राजा बन्दर को कुछ करने को बोला.... लेकिन राजा बन्दर क्या बोला..... बोला यार शेर से लड़ना तो अपने बस के बाहर की बात है लेकिन.... हाँ मेरी भाग दौड़ में कोई कमी हो तो बताओ...... यह महज़ एक किस्सा नहीं.... आज कल की एक कडवी सच्चाई है.... सत्ता में बैठे बन्दर..... और आतंकियों से मार खाती हुई आम जनता..... ... ...
कब तक.....
आखिर कब तक....
...
...
:-देव
2 टिप्पणियां:
घृणा तो कब से थी...अब तो पता नहीं क्या होता जा रहा है. स्वदेश लौटने की इच्छा खत्म होती जा रही है.
भाग दौड़ में तो कोई कमी नहीं होनी चाहिये।
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