शुक्रवार, 17 सितंबर 2010

आखिर भगीरथ प्रयास सफ़ल हुआ......


आखिर भगीरथ प्रयास सफ़ल हुआ...... ससुरा बहुत दिनो से हलकान किये था..... अब साहब देव बाबू भी उस वीर से पंगा लेनें से डर रहे थे.... ढीठ इतना की रसोई के कोने खोपचे से अईसे ताकता जईसे पिछले जन्म का कोई बकाया हो अपने पास। मिर्ची भी नही छोडता था भई.... अरे भई... गणपति का महीना है और ऐसे में घर मे मुसवा बईठा हो तो फ़िर उसको मार कर भगानें का भी कोई मतलब नहीं.....



मगर किया भी क्या जाए.....

घर के सारे एग्ज़िट बन्द किये गये..... मुसवा को केवल रसोई में रोका गया..... (जय मनीषा जी की)... मुसवा को पकडनें के लिए आज कल के कुछ उत्पादों का भी इस्तेमाल किया गया..... मगर ऊ सरवा बाहर अईबै नहीं किया कभी... एकदम छुप के बईठा था.... रात में कुडबुडाता था... दिना भर एकदम चुप्पे ना जानें कईसे छुपाया रहता था... भैया कोनो उत्पाद काम ना आया.... मुसवा अईसे ही मस्त मजे में बईठा रहा.....
(गौर करिये.... आज कल के सारे मुस-भगाओ उत्पाद व्यर्थ हैं..... कोई असर नहीं हुआ इस चूहे पर उनका)

मगर साहब जय धर्म-पत्नी देव बाबू अईसे ही थोडे ही कहते हैं..... आज मनीषा जी नें देखा की मुसवा मिक्सी के डब्बा में घुसियाआ है.... बस आव देखा ना ताव.... उपरै से उसका ढकना बन्द कर दिया..... अब साहब देव बाबू को भी कुछ हिम्मत आ गई की दुश्मन पकड में आ गया है।

भई वाह....

नीचे सिक्योरिटी वाले मिश्रा जी को बुलाया गया..... अब साहब वर्दी वाले को देख कर तो हर कोई डेराता है ना..... मुसवा भी बक्से से बाहर आनें का हिम्मत नहीं जुटा पाया...... डब्बा नीचे लाया गया..... अऊर जब खोला गया तो फ़िर वह वीर-शिरोमणि डिब्बे से निकले और पूरी रफ़्तार से भागे..... भई दुश्मन को भागता देख बडी खुशी हुई.... हा हा

अब सोचिए की मुसवा पर कोनो असर नहीं हुआ.... मार्टीन... हिट... अऊर ना जाने किसी भी चीज़ का.... ई रैट किल... सब बेकार है यार..... अपना देसी जुगाड काम आया... या यूं कहिये की मनीषा जी की वीरता काम आई।


जय पत्नी.....

:-देव


5 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अब आपके जीवन में मूषक उत्पात नहीं मचायेंगे, मनीषा जी जो आ गयी हैं।

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

मूषक पुराण में आया है : प्रायः 'मूषक' नवल-दम्पतियों को अधिक तंग करता है. मूषक महाराज नवल-दम्पतियों के घर में उन शादी कार्डों को तलाशते घूमते हैं जिनमें "श्री गणेशाय नमः" छपा होता है. जैसे ही बचे-खुचे कार्डों में गणेश जी के दर्शन वे कर लेते हैं वे वर-वधु को आशीर्वाद देकर स्वयं चले जाते हैं.
कुछ पंडितों की मान्यता यह भी है कि मूषक देवता कार्डों में अपने नाम तलाशते हैं. जब उन्हें नहीं मिलता चले जाते हैं.

शिवम् मिश्रा ने कहा…

क्या कहने भईया .... बहुत खूब....बिना गोली चलाये दुश्मन से युद्ध जीत लिए !

संजय भास्‍कर ने कहा…

मनीषा जी जो आ गयी हैं।
.... बहुत खूब

बेनामी ने कहा…

गज़ब की है मनीषा जी की वीरता :-)