सोमवार, 30 अगस्त 2010

घरवाली जिंदाबाद..... :-देव

यार जबसे देव बाबा बाबु बने हैं... आफिस से घर और घर से आफिस के चक्कर काट काट के दुखी थे.... एक दिन अपना ही आफिस पुराण पढ़ लिया..... और फिर नींद से जाग गए सा लगा... बस फिर उसी दिन के बाद से बंधुओं... अपनी दिहाड़ी के घंटे ख़त्म करते ही झोला उठा के घर निकलने की प्रथा को वापस शुरू कर दिया.... ससुरा जित्ती सेलेरी... उत्ती दिहाड़ी..... सही है ना..... अभी बहुरिया थोडा खुश है आज कल हमसे...... नहीं तो बस पिटने ही वाले थे....

वैसे घर को सेट करना और घर का सामान खरीदना, कहिये तो घर गृहस्थी की शुरुआत करना उत्ता सरल नहीं है जितना देव बाबु समझते थे.... बोले तो दो महीने से बस बजट ही संभल रहे हैं..... यार इतनी कडकी कभी नहीं आई जितनी आज कल है.... वैसे इसका भी आनंद है और जब मनीषा जी जैसा जीवन साथी हो तो फिर सब कुछ अपने आप ही आसान हो गया सा लगता है| वाकई आज पूरी दुनिया के सामने स्वीकार करना पड़ेगा..... मेरी घरवाली जिंदाबाद.....

वैसे पिछले दिनों एक वाशिंग मशीन, फ्रिज और घर के लिए ज़रूरी बर्तन... किराना.... और रसोई का कुछ ज़रूरी सामान.... भाई वाह.... मजा आ गया..... यार ज़िन्दगी में कभी जिन चीजों की शापिंग नहीं की थी.... वह सब एक एक करके करना पड़ा.... और तो और सब एकदम ज़रूरी..... देव बाबा (मतलब बाबु) पत्नी व्रत हो गए हैं.... मतलब... पत्नी की हाँ में हाँ मिलाते हैं..... पूरी दुनिया ऐसा ही करती है.... बस कहने को सब बहादुर बनते हैं..... हा हा (दुखती राग पे हाथ रख दिया ना)..... मनीषा जी के हाथो की रसोई.... भाई मजा आ गया.... देव बाबा जो आस्ट्रेलिया और अमेरिका को रोज खाते थे.... आज कल रोटी खाने लगे हैं..... घर एकदम चमक रहा है.... घर में रोज आरती होने लगी है.... भगवान् को भी याद किया जाने लगा है.... यार बहुत कुछ बदल गया है.... और यह बदलाव बहुत अच्छा लग रहा है| बस आज कल अम्मा की भी बहुत याद आ रही है.... अम्मा कुछ दिन के लिए आ जाती तो फिर ख़ुशी दुगनी हो जाती....

आज मनीषा जी को डेडीकेट करते हुए यह कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ......

जीवन का हर रंग खिला है
साथ तेरा पाने से....
मेरी दुनिया चमक उठी है
साथ तेरा पाने से....
मेरी बगिया महक उठी है
साथ तेरा पाने से...

-देव

7 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जुग जुग जियो इसी सेवाभाव में।

संजय भास्‍कर ने कहा…

मेरी बगिया महक उठी है
साथ तेरा पाने से...

.......बहुत खूब, लाजबाब !

शिवम् मिश्रा ने कहा…

जय हो जय हो !!

लगे रहो भईया !!

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…


वाह-वाह,बहुत बढिया-जय जय हो।

खोली नम्बर 36......!

बेनामी ने कहा…

All is well

:-)

राम त्यागी ने कहा…

लगे रहो देव बाबू ...

विवेक रस्तोगी ने कहा…

अच्छी बात है बदलाव महसूस कर रहे हैं, और बदलाव अच्छा लग रहा है, अनुभव लेते रहिये अभी तो यह शुरुआत है, काफ़ी गूढ़ रहस्य समझ में आयेंगे।