शनिवार, 10 जुलाई 2010

यही है ना.... अपनी ज़िन्दगी...

आज दिन भर की थकन के बाद.... रात में घर लौटा.... और फिर मनीषा जी से खूब गप्पे मारी.... और यह कविता मनीषा जी को डेडीकेट कर रहा हूँ...
आशीर्वाद चाहूँगा आप लोगों का...

कुछ कहना....
कुछ सुनना...
कुछ खट्टी
कुछ मीठी
यही है ना.... अपनी ज़िन्दगी...

कभी गप्पे लड़ती....
कभी गुमसुम सी....
कभी गंभीर...
तो कभी मासूम सी....
यही है ना.... अपनी ज़िन्दगी...

सच कहें तो भाई वाकई में देव बाबा का देव बाबु के रूप में परिवर्तन हो रहा है, यह नहीं कहूँगा की एक ही दिन में कोई जादू की छड़ी चल गयी है... मगर दिन प्रतिदिन हो रहे बदलाव बहुत राहत दे रहे हैं.... ज़िन्दगी पटरी पर आ रही है.... यह गीत प्रस्तुत कर रहा हूँ.... लीजिये आप भी सुनिए...

10 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बदलाव तो सही दिख रहा है.. पहले ही चेता दिये थे कि ये जो नाम के साथ आप ’जी’ लगा रहे हैं...संभलियेगा जरा. :)

M VERMA ने कहा…

देव बाबा का देव बाबू में परिवर्तन तो होना ही था.
जिन्दगी में परिवर्तन और भी होंगे .. होने भी चाहिये.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बतियायें भी, गपियायें भी और घूमने जायें संग,
साथ बैठ खाना भी खायें, जी लें सब जीवन के रंग ।

राम त्यागी ने कहा…

बढ़िया ....ये दिन ही इतने लाजबाब होते हैं ...उनको मुम्बई बुलाओ जल्दी से ...

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बहुत सही जा रहे हो देव बाबु लगे रहो !

संजय भास्‍कर ने कहा…

परिवर्तन तो होना ही था....

अजय कुमार ने कहा…

इस परिवर्तन का आनंद लीजिये ।

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बेहद उम्दा पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं!

आपकी चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं

सूर्यकान्त गुप्ता ने कहा…

मधुर गीत। अच्ची रचना। वाह देव बाबू आपका क्या कहना।

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji ने कहा…

हम का जानें !
भुगत त आप रहे हो ;-)
अपनी गप-शप भी कुछ हद तक सुनाइये त जानें कि आप पर का बीत रही है.
हम कुँवारे का जानें !
थोडा सा एक्सपीरियंस दीजिए भाई. आगे काम आएगा. ;-P
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अच्छा देव भाई ! सच्ची एक बात बताओ दो सौ रूपये उड़ा के बात का होती है !!
हमने देखा है बहुतों को दिन-रात चिपके रहते हैं, बस एक यही सवाल मन में आता है : ये घामड़ बतियाते का हैं. हा हा हा
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