एक बार एक रिटायर्ड मास्टर जी अपनी टूटी सायकिल को बनवाने के लिए दूकान पर व्यस्त थे, तभी उनका एक शुभचिंतक उनको देख कर मिलने चला आया और उनके बीच का वार्तालाप सुनिए.
शुभचिंतक :- मास्टर जी कहं सायकिल के पीछे लगे हो, आपके बेटे तो सुना काफी तरक्की कर चुके हैं.
मास्टर जी :- हां मेरा बड़ा बेटा, पढ़ लिख के अमेरिका में आज बड़ा इंजिनियर है , बीच वाला जो हमेशा किसी न किसी खुर-पेंची में लगा रहता था वह वकील हो गया और आज कल हाई कोर्ट में प्रक्टिस कर रहा है.
शुभचिंतक :- और वोह छोटा वाला... जो हमेशा आपकी क्लास में मुर्गा बना रहता था.. अरे हां रमेश, वह तो किसी काम का नहीं था,
मास्टर जी :- हां वह चौराहे पे जो पान की दूकान है न, वोह उसी की है और उसी की वजह से मेरा घर चलता है, जो दुनिया के लिए किसी काम का नहीं था वही मेरे सबसे काम आ रहा है.
इसके बाद शुभ-चिन्तक ने कुछ भी नहीं कहा और मास्टर जी भी अपने घर की और बढ़ गए.
सोचिए... काबिल कौन.
-देव
7 टिप्पणियां:
मास्स्साब के लिए तो पनवाड़ी ही काम का है. कम से कम बुढ़ापे में साथ तो है.
चौराहे पे जो पान की दूकान है न, वोह उसी की है और उसी की वजह से मेरा घर चलता है, जो दुनिया के लिए किसी काम का नहीं था वही मेरे सबसे काम आ रहा है.
पनवाड़ी ..........
जवाब तो तुमने खुद दे दिया, देव बाबा, अपनी पोस्ट पर फिर हम को क्यों सताते हो ..........................."मास्टर जी :- हां वह चौराहे पे जो पान की दूकान है न, वोह उसी की है और उसी की वजह से मेरा घर चलता है, जो दुनिया के लिए किसी काम का नहीं था वही मेरे सबसे काम आ रहा है.
इसके बाद शुभ-चिन्तक ने कुछ भी नहीं कहा और मास्टर जी भी अपने घर की और बढ़ गए."
आईये जानें … सफ़लता का मूल मंत्र।
आचार्य जी
sahi kaha jo apni maati apne maat pita ka na hua wo kaisa kaabil
नाइस पोस्ट ।
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