शनिवार, 29 मई 2010

फ़ोटो ग्राफ़र के मन की पीडा फ़ोटोग्राफ़र ही जानें

तो मित्रों फ़ाईनली देव बाबा की धमकी का असर हुआ और तय टाईमलाईन के अन्दर ही इन्टर्नेटवा चालू हो गया। अबहीं ठीक लग रहा है... बोले तो आज़ादी की फ़ीलींग आ रही है यार। बिना इंटरनेट तो ज़िन्दगी अजीब अजीब लग रही थी । वैसे आज का दिन काफ़ी अच्छा रहा और अजीब अजीब अनुभवों से दो चार होना पडा... आज के अनुभवों पर आप लोगों को कल अपडेट करूंगा और हां कल देव बाबा ज़रा घूमनें बाहर जा रहे हैं शायद मुम्बई शहर के बाहर । थोडा प्रकृति नज़दीक जानें की इच्छा हो रही है। सो कल रात की पोस्ट कुछ चित्रों के साथ पोस्ट करुंगा। आज तो देव बाबा को हमरे फ़ोटोग्राफ़र गुरु मिले और वाशी में काफ़ी समय तक मुलाकातों का सिलसिला चला और फ़िर कुछ ऐसी बातें पता लगी जिनको सुन कर हैरानी भी हुई और एक नयी हकीकत भी पता लगी। लीजिए आप लोग भी सुनिये ।

फ़ोटो ग्राफ़र के मन की पीडा फ़ोटोग्राफ़र ही जानें... अभी मोबाईल कैमरों नें सबसे ज्यादा फ़ोटोग्राफ़रों के पेट पे ही लात मारी है। हमरे मित्र... मित्र क्या हमरे गुरुदेव हैं.. नवी मुम्बई के बहुत प्रतिष्ठित छाया-चित्रकारों में से एक हैं। उन्होनें एक किस्सा सुनाया आप लोग भी सुनिए... बोले शादी में अपने बडे बडे कैमरों से फ़ोटोग्राफ़िंग का काम चालू था और चार चार बन्दे शादी की हर छोटी से छोटी रस्म को कैमरें में कैद करनें के लिए सतर्क थे। उसी में धकियाते हुए एक सज्जन अपनें मोबाईल कैमरे से फ़ोटुआ लेनें में लगे हुए थे.. और बीच बीच में बतिया भी रहे थे कि तीन मेगा-पिक्सल कैमरा है... अबे ससुर के नाती... चार चार फ़ोटोग्राफ़र लगे हुए हैं और बडे बडे एस एल आर कैमरों से काम चल रहा है और उसमें फ़िर तेरा यह तीन मेगा-पिक्सल कैमरा... धन्य है वह आदमी जिसनें मोबाईल को कैमरा बना डाला... और तो और मोबाईल को ना मालूम कैसे कैसे काम अनावश्यक ही पकडा डाले...

वैसे बात गम्भीर है... फ़ोटोग्राफ़रों की स्थिति वाकई आज कल चिंताजनक है और फ़िर फ़्री लांसरों की पीडा के तो फ़िर कहनें ही क्या.... देव बाबा तो कम्प्यूटर पर हाथ पटकनें वाले आदमी हैं... सो आज तक इस सत्य से अन्जान थे, मगर आज सन्ध्या काल में फ़ोटोग्राफ़रो की असल स्थिति को देखनें का मौका मिला। सच में कैमरे के पीछे का सच कुछ और ही है... ना कोई एसोशिएशन है और ना ही कोई ऐसी गवर्निंग बाडी जो रेट चार्ट तय करे... इससे नए बन्दे का इंडस्ट्री में टिकना मुश्किल हो गया है... पुरानी मछलियां नई मछलिओं को निगलनें को तैयार हैं और नए बन्दों को पनपनें का मौका नहीं मिल पा रहा है...... देखते हैं भविष्य में क्या होता है...

वैसे आज नए फ़ोटोग्राफ़रों के असली चित्र को देखकर देव बाबा थोडे चिंतित ज़रूर हुए तो भाई यहां पटक दिया, बाकी एकदम मजे में... जय राम जी की.... आज नीद आ रही है... कल मुलाकात होगी फ़िर से....

और हां सोनें के पहले ईस्माईल प्लीज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़!!!! क्लिक... :)

-देव

9 टिप्‍पणियां:

रवि कुमार, रावतभाटा ने कहा…

बेहतर...
दिल को छुआ...इस पीड़ा ने...

माधव( Madhav) ने कहा…

touching post, i agree with you

बेनामी ने कहा…

DHANYAWAD DEV BABU ES POSTING KE LIYE. - AAPKA APNA WOHI PHOTUWALA

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बढ़िया पोस्ट देव बाबु ................ सच है घायल की गति घायल ही जाने !!

मिलकर रहिए ने कहा…

मेरे नए ब्‍लोग पर मेरी नई कविता शरीर के उभार पर तेरी आंख http://pulkitpalak.blogspot.com/2010/05/blog-post_30.html और पोस्‍ट पर दीजिए सर, अपनी प्रतिक्रिया।

संजय भास्‍कर ने कहा…

very touching dev ji......

Udan Tashtari ने कहा…

स्माईल तो जब चाहे ले लो..देव बाबा...मगर अपने दोस्त को कहो..कि कुछ फोटोग्राफी के गुर तो सिखाये यार!!


कल देखें कि आप कितना सीखे फिर जोर डालेंगे.

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji ने कहा…

ये वाशी कहाँ है जी, अपन तो काशी वाले हैं, वाशी क्या जानें !!
ही ही ही
एकाध फोटुआ हमरी भी हींचो तो स्माइलें !!
फालतू में ही-ही करने से का लाभ !!!

Dev K Jha ने कहा…

@राजीव जी,
हम भी काशी वाले ही हैं... हम भी पुरानें बनारसी हैं गुरु... वैसे वाशी नवी मुम्बई का बिज़्नेस सेन्टर है। गूगल करिए... वाशी के बारे में सब जान जाएंगे :)