शुक्रवार, 14 मई 2010

ओफ़िस से घर और घर से ओफ़िस... यही ज़िन्दगी है हमारी...

यार आज और कल दोनों दिन बहुत व्यस्त रहा.... ससुरा ब्लोगिंग करने का मौका ही नहीं मिला... थोडा टाइम के लिए बज बजा लिया (गूगल बज्ज़ पर) और फिर सुतने चला गया... आज कल ऑफिस की दिहाड़ी में हालत ख़राब हो जा रही है यार. कल देव बाबा पुणे जा रहे हैं सो कल भी ब्लॉग्गिंग से दूर रहने की सम्भावना है. कोई बात नहीं रविवार को फिर आऊंगा. वैसे मुम्बई से पुणे कोई पहली बार तो नहीं जा रहा हूँ और मुम्बई से पुणे है ही कितनी दूर.... खुद की गड्डी से जाओ तो ज्यादा से ज्यादा तीन घंटा.. मुम्बई से लोनावाला और खंडाला तो बहुत बार ट्रिप लगाये हैं खास तौर पे बारिश के दिनों में... बड़ी मस्त लगता है यार....

वापस आऊंगा तो फिर कुछ फोटुआ भी लगाऊंगा और कुछ समाचार भी दूंगा.... अभी आज के लिए बस नींद आ रही है सोने जा रहा हूँ....

मुझे नींद आ रही है
सोने दो सोने दो
कभी तो चैन से
एक पल जीने दो
ऑफिस से घर
और घर से ऑफिस
इस ज़िन्दगी से
कुछ पल तो मुक्ति दो
कुछ पल चैन से
जीने दो जीने दो
मुझे चैन से सोने दो
सोने दो भई सोने दो.....

चलो फिर रविवार को मिलूँगा.... तब तक के लिए निंदिया रानी पर एक वीडिओ यहाँ पटक रहा हूँ.... (सौजन्य यूट्यूब)


-देव

10 टिप्‍पणियां:

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बहुत बढ़िया गीत सुना दिया आज तो, देव बाबु !! समां बांध दिए हो !!

दिलीप ने कहा…

3 idiiots ke geet ki yaad aagayi jeene do jeene do

M VERMA ने कहा…

वाह भई वाह! खुद तो पोस्ट पटक के चले गये पर हमें टिपियाने के लिये जगा रहे हो.
वैसे पोस्ट अच्छी है

Udan Tashtari ने कहा…

गीत तो अच्छा सुना गये ..अब आओ लौट कर फोटू वगैरह के साथ..टाई लगा कर जा रहे हो कि यूँ ही?? बस, ऐसे ही पूछ लिया...क्यूरासिटी होती है न कि देव बाबा कैसे निकले. :)

honesty project democracy ने कहा…

अच्छी सोच और प्रभावशाली अभिव्यक्ति /

अजय कुमार झा ने कहा…

जे बात ..व्हाट एन आईडिया सर जी ...

राजभाषा हिंदी ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

रवि कुमार रावतभाटा ने कहा…

ओहो...
मतलब कि ब्लॉगिंग...देव बाबा के लिए एक काम की तरह होता जा रहा है...
सर्फ़िंग, जोगिंग...ऐसे ही ब्लॉगिंग...
जैसे सोने से पहले मूतने जाते हैं...

जय हो देव बाबा की...जय हो...

Dev K Jha ने कहा…

रवि भैया,
ब्लौगिंग मेरे लिए एक काम की तरह!!!
नहीं, यह तो एक माध्यम है, लोगों की अभिव्यक्तिओं को पढनें का... हिन्दी भाषा के करीब रहनें का..

पिछला सप्ताह देव बाबा की दिहाडी कुछ ज्यादा ही लम्बी हो गयी थी, सुबह नौ बजे से रात के नौ बजे तक... थकान इत्ती की कुछ और करनें का मन ही कर पा रहा था....

और कुछ एक्स्प्लेन करू क्या????

राम त्यागी ने कहा…

फोटो दिखाओ जल्दी से ....और हमारी तरफ भी रेगुलर आते रहो :)