रविवार, 22 नवंबर 2009

उठो बे... नींद से जागो और चुपचाप काम पे लग जाओ

सुबह सुबह वैसे तो कोई खास दिन नहीं है... बाहर बादाम के पेड़ पर कुछ गिलहरियाँ, कुछ कबूतर और कुछ कौवे चिल्ल पों मचा रहे हैं... नहीं तो इतनी ख़ामोशी है की क्या कहें... उनींदे से बालकनी में पड़े हुए ऐसा लग रहा है जैसे आज फिर से क्यों सुबह हो गयी यार... | अच्छे भले तो सो रहे थे की यह सवेरा हो गया... | अचानक ऐसा लगा जैसे अम्मा बुला रही है और मुझे नींद से जगाने की जगह अन्दर सो जाने को कह रही है... मुंबई में अम्मा कहाँ से आ गयी भाई... यहाँ कौन हमें इतनी आज़ादी देगा.. | भ्रम था और क्या.. बस उंघते उंघते समय बिता रहे थे और घूम रहे थे अपने वर्तमान और भविष्य के बीच में | मन ही मन फिर से लिस्ट बना ली आज क्या क्या करना है... | मगर फिर भी उठने का मन नहीं हो रहा .. | याद आ रहा है बचपन का वह समय जब रजाई में घुसे, सुबह की सर्दी के मजे लेते... अम्मा उठाते उठाते थक जाती थी मगर कुम्भकर्णी नींद खुलती ही नहीं थी... | दूर के मंदिर से हनुमान चालीसा का टेप बज रहा होता था... मंदिर की आरती, घंटे की टन टन सुन के नींद खुलती थी | यार कहाँ आ गए कैसे दिन आ गए... इससे तो बरेली का गुद्दर बाग ही अच्छा था यार | कम से कम वह अपना लगता था.. यहाँ सब कुछ है.. तरक्की है मगर फिर भी अपना पन नहीं है.. |




यार इसी उधेड़-बुन में की करना तो कुछ है नहीं... एक बार फिर चद्दर में घुस गए और सोचा की एक घंटा और सो जायें तो क्या हर्ज है यार... | यार बनारस और जौनपुर पहुँच गए इस बार... बनारस के चौक और घाट ... याद आई वह अनंत दीपों की श्रृंखला जो देव दीपावली पर सभी घाटो पर प्रज्ज्वलित की जाती हैं | वह दीपावली और घाटो पर होने वाली महा आरती....वाह वाह | यार क्या कुछ नहीं था आने जाने की समस्या, बसों में धक्के खाते हुए यूनिवर्सिटी जाना और फिर वैसे ही वापस आना... | वह जोश जो किसी से भी लड़ने भिड़ने का साहस देता था... | कहाँ गुम हो गया सब.. कैसे हुआ यह सब... | कैसे मैं तरक्की के घोड़े पर सवार हो गया और अपने आप को कहीं दूर मार आया... |



चलो कोई बात नहीं याद करलो की कम से कम कभी तो मैं भी बहादुर था... भले ही वक्त ने मुझे बहु-राष्ट्रीय कंपनी में काम करने वाला एक बंधुआ मजदूर बना दिया मगर फिर भी इसी बात का संतोष कर लो की कभी तो बहादुर था.... कोई बात नहीं कभी फिर से मैं बहादुर बनूँगा और फिर से कोई ना कोई ऐसा दिन आएगा जब मैं अपनी मर्जी से सोऊंगा और जागूँगा.. |

-देव
नवम्बर २२, २००९

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