शनिवार, 31 अक्तूबर 2009

आत्म-निर्भर बनो देव बाबा

यार आज सुबह से ही नहा धोकर तैयार बैठे थे... सोचा कहीं घुमने जायेंगे कोई नयी सिनेमा देखेंगे खूब मजे करेंगे.... | अब साहब शनिवार के दिन देव बाबा जैसा आज की दुनिया का प्राणी अगर सुबह आठ बजे सोकर जाग जाये तो सोचिये कितनी गंभीरता होगी, घूमने फिरने का कीडा कितना उछाल मार रहा होगा... | अब साहब होइए सोई जो राम रची रखा.... ये तुलसीदास जी ने हवा में थोडी ही लिखा है... | सो राम , जी को तो कुछ और ही मंज़ूर था , अब साहब मुझे किसी अति आवश्यक काम से कुछ समय के लिए वाशी जाना था.... अब साहब मैं तो मेरे हर मित्र की सेवा में प्रस्तुत होने के लिए तत्पर रहता हु, मगर मुझे मेरी मदद के लिए कोई नहीं मिला ............. यार क्या है यह | देव बाबा के सारे भक्त आज ही के दिन गायब होने थे.... , मुझे मेरा सिनेमा का प्लान चौपट होता दिख रहा था... मगर उसके लिए तो पूरा दिन पड़ा था फिलहाल तो ज़रूरी काम निपटाना था.... | वैसे कोई बात नहीं मैंने मेरा काम निपटाया और फिर बड़ी मुश्किल से घर आया , थकान का तो जाने दीजिये आम बात है... मगर यार कोई साथ देने आया नहीं इसकी तकलीफ ज्यादा थी... |
घर आये तो भैया आत्म निर्भरता वाला लेख दो बार पढा... और गाँधी जी को भी याद किया...  | कुछ उर्जा आई और फिर सिनेमा जाने का प्लान एकदम केंसिल कर दिया  |  सो मेरे धोके-बाज़ मित्रो..., आज तुमने मुझे एक ज्ञान दिया... किसी से कभी कोई उम्मीद ना रखो... आत्म-निर्भर बनो... | एकला चलो रे ही अपना मन्त्र मानो | तो भैया शाम हो गयी है और अकेले पन को काटने के लिए यह लिख रहे हैं....... अगर शोर्ट में बताएं तो आत्म निर्भरता की ओर एक स्टेप बढा रहे हैं... |

चलो बाकी बाद में...
देव बाबा
अक्तूबर ३१, २००९

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