रविवार, 28 जून 2015

बूटेबल फ्लॉपी से स्मार्ट कंप्यूटर तक

एक समय था जब सिफ़ी ब्रॉडबैंड के डायल-अप कनेक्शन के साथ बत्तीस केबी की स्पीड वाला इंटरनेट भी बहुत तेज़ लगता था, एक आज है जब सवा सौ एमबी का फाइबर कनेक्शन भी धीमा लगने लगता है। मेरा इंटरनेट के साथ पहला सामना1999, 2000 में हुआ था, उसके पहले बरेली कालेज के पास किसी कंप्यूटर सेंटर में भैया कंप्यूटर सीखने जाता था और विंडोज़ 3.1 के प्रोग्राम मैनेजर और माउस के बारे में बताया करता था। उस समय मुझे वह किसी परी-लोक सरीखा, किसी सपने की तरह लगता था। माइक्रोसॉफ्ट 95, फिर 98 फिर 98-SE आते आते मुझे कंप्यूटर के बारे में ठीक ठाक जानकारी हो गयी थी। वर्ष 2002, बनारस के दुर्गा कुण्ड के पास एसके कम्प्यूटर्स से लाया गया पहला सेलेरॉन प्रोसेसर युक्त बीस जीबी हार्डडिस्क, और पूरे बत्तीस एमबी रैम वाला सुपर कंप्यूटर था हमारा। बहरहाल आजके मेरे i7, 16GB RAM, और लगभग दो टेरा बाइट हार्डडिस्क और फाइबर इंटरनेट से युक्त कंप्यूटर के मुकाबले वह डब्बा मॉनिटर वाला कंप्यूटर कहीं ज्यादा कीमती था। कैसी ज़िन्दगी बीतती चली गई न, आज आदि भी कितनी आसानी से माउस चला लेता है, जिस माउस के प्वाइंटर पर कब्ज़ा पाने में मुझे कई महीने लग गए थे उस पर आदि ने कितनी आसानी से विजयश्री प्राप्त की।

कितना अच्छा लगता था 
वह तुम्हारा गिड़गिड़ाना 
एक बूटेबल फ्लॉपी के लिए 
तुम्हारा मिमियाना 
एक सीडी राइट करवाने के लिए 
वह ड्यूल बूट वाले भाई साहब 
वह पाइरेटेड सॉफ्टवेयर वाले साहब 
वह डिजिट मैगज़ीन की सीडियां सम्भालना 
वह गाने कॉपी करवाने के लिए दर दर भटकना
वाकई वह भी क्या दिन थे 

वैसे बात सही भी थी..  उस समय जिसके पास बूटेबल सीडी हो वह किसी देवता से कम नहीं था। आज मामला बैक-अप और रिस्टोर का है और कंप्यूटर एकदम सुरक्षित हो रहे हैं। बस प्लग-इन करो और इस्तेमाल करो। जगह किसी के पास  नहीं सो मामला डेस्कटॉप की जगह लैपटॉप, फिर टैब और अब तो स्मार्ट फ़ोन भी गजब हो गए हैं। मेरा नेक्सस-6 किसी कंप्यूटर की ही तरह हर कुछ कर सकने में सक्षम है। आज सोफे पर लेटे लेटे ब्लॉगर ऍप्लिकेशन से पोस्ट लिखने का सोचा तब पाया की ज़िन्दगी, तकनीक सब कुछ कितना बदल गया है न। 

आनंद लीजिये इस बदलते हुए दौर का, क्या पता आने वाले दस सालों में आज का हाई-टेक कम्प्यूटिंग पाषाण कालीन लगने लगे, सब कुछ संभव है भाई :-) 

6 टिप्‍पणियां:

PD ने कहा…

मेरा पहला कंप्यूटर भी सन २००० के दिसंबर में आया था. उसमें 20GB हार्ड डिस्क और 32 MB रैम था. वाकई वह सुपर कंप्यूटर ही था.

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, मटर और पनीर - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

आगे आगे देखिये होता है क्या
चलता चलता आदमी बोलता है
चलता है बोलता है चलता है
हाथ में कुछ भी कहीं नहीं है होता :)

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

आगे आगे देखिये होता है क्या
चलता चलता आदमी बोलता है
चलता है बोलता है चलता है
हाथ में कुछ भी कहीं नहीं है होता :)

abhi ने कहा…

Gazab bhaiya...gazabb....kavita to mast thi.. :)

Jyoti Dehliwal ने कहा…

बढ़िया जानकारी युक्त आलेख ...