बुधवार, 10 जून 2015

सरकारों की नीयत का फर्क

कई लोग कहते हैं सरकारों का चरित्र एक सा होता है और कांग्रेस और भाजपा में मूल रूप से कोई अंतर नहीं। कहने वाले कई प्रकार के तर्क देते हैं और उसके हिसाब से अपनी व्याख्याएं भी करते हैं। मेरा मानना है सरकारों के चरित्र का परिचय उसकी नीयत से होता है। यह नीयत कितनी साफ़ है यह पता चलेगा जब सरकार अपनी ज़िम्मेदारियों को लेकर, सरकारी तंत्र को जनता के सबसे गरीब तबके से लेकर माध्यम वर्ग की हर आकांक्षा को लेकर, देश की आतंरिक सुरक्षा और हर समस्या के समाधान को लेकर सजग दिखे। कांग्रेस कभी भी किसी समस्या का समाधान नहीं तलाशती दिखी और वह विवादित मुद्दों पर सर्वसम्मति से कोई निर्णय न लेने का निर्णय करने में ही अपनी भलाई मानती है। वह इसमें वोटबैंक तलाशती बैठती है। अब आप इसको कुछ यूँ समझ सकते हैं कि "बर्मा में हुई कार्यवाही" और "सैनिकों के सर काट ले जाने" में केंद्र सरकार की नीयत का फर्क क्या था? इस देश का सैनिक दुखी होता है जब वोट बैंक के लिए उसके हाथ बाँध दिए जाते हैं। इस देश का सैनिक रोता है जब देश में बैठे सेकुलर जमात के लोग वोट बैंक के लिए आतंकियों के मानवाधिकार की बात करते हैं और सेना को बैकफुट पर जाना पड़ता है। अब ऐसा नहीं है, बिना रीढ़ की जगह अब मोदी की मजबूत सरकार है और साफ़ सन्देश है कि भारत विरोधी गतिविधियों पर भारत चुप नहीं बैठेगा। सेना तैयार है और हर सैनिक पूरी आन बान और शान से सजग है।

यह मानसिक परिवर्तन सिर्फ केंद्र सरकार की नीयत से पैदा होता है। शासक यदि अपनी सेना का मनोबल बढ़ाये तो इससे देश की सुरक्षा मजबूत होती है। यही मूल अंतर है भाजपा और कांग्रेस का.... जिनको समझना था वह समझ गए जो नहीं समझे उनको तो वैसे भी सिर्फ मैडम से अटेस्टेड "ठीक है" ही समझ में आता है सो मैं क्या कर सकता हूँ।

4 टिप्‍पणियां:

शिवम् मिश्रा ने कहा…

#56InchesRocks

Harshvardhan Srivastav ने कहा…

म्यांमार में उग्रवादियों के खिलाफ किया गया खुफिया ऑपरेशन इसी नीयत का सबूत है। सादर ... अभिनन्दन।।

ब्लॉग :- ज्ञान कॉसमॉस
फेसबुक पेज :- ज्ञान कॉसमॉस

Shekhar Suman ने कहा…

बात मार्केटिंग की भी है... अच्छा करने के बाद उसको बेचना भी उतना ही ज़रूरी है जनता की नज़र में अच्छा बनने के लिए...

DK Meena ने कहा…

ध्यान से पढ़िए ❗

साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार लौटाने का यह जो खेल चल रहा है, आप लोग इसे हल्‍के में न लें। मोदी सरकार पर किए गए इस वार में पर्दे के पीछे कांग्रेस पार्टी-अंतरराष्‍ट्रीय एनजीओ-मीडया का बड़ा नेक्‍सस काम कर रहा है।


मुझे अभी अभी दिल्ली से जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार, मोदी सरकार ने खुफिया विभाग से इसकी जांच कराई है और प्रारंभिक जांच में यह पता चला है कि है, देश में चल रहे इस कोलाहल में अमेरिका-सउदीअरब-पाकिस्‍तान तक शामिल हैं। बकायदा इसके लिए एक अंतरराष्‍ट्रीय पीआर एजेंसी हायर किया गया है।


पुरस्‍कार लौटाने का खेल तब शुरू हुआ जब कांग्रेस के कुछ बड़े नेता, जेएनयू के कुछ प्रोफेसर और कुछ अंग्रेजी पत्रकार साहित्‍य अकादमी के पुरस्‍कार लौटाऊ साहित्‍यकारों से मिले और उन्‍हें इसके लिए राजी करने का प्रयास किया और अखलाक मामले को मुददा बनाकर पुरस्‍कार लौटाने को कहा।

पहले इसके विरोध में होने वाली प्रतिक्रिया के भय से कई साहित्‍यकार तैयार नहीं थे, जिसके बाद नेहरू की भतीजी नयनतारा सहगल को आगे किया गया।

इसके बाद वो साहित्‍यकार तैयार हुए, जिनके एनजीओ को विदेशी संस्‍थाओं से दान मिल रहा था, जो मोदी सरकार द्वारा जांच के दायरे में हैं और जिनकी बाहर से होने वाली फंडिंग पूरी तरह से रोक दी गयी है।


अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर 150 से अधिक साहित्‍यकारों व पत्रकारों को इस पर लेख लिख कर भारत को असहिष्‍णु देश साबित करने के लिए अमेरिका-सउदी अरब-पाकिस्‍तान के पक्ष में एक बड़ी अंतरराष्‍ट्रीय फंडिंग एजेंसी ने एक अंतरराष्‍ट्रीय पीआर एजेंसी को हायर किया है, जिस पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं। संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ में भारत की दावेदारी को रोकने लिए अमेरिकी, सउदी अरब व पाकिस्‍तान मिलकर काम कर रहे हैं। इसके लिए भारत को मानवाधिकार पर घेरने और उसे असहिष्‍णु देश साबित करने की रूपरेखा तैयार की गई है।


इसके लिए पहले अमेरिका ने अपनी धार्मिक रिपोर्ट जारी कर भारत को एक असहिष्‍णु देश के रूप में प्रोजेक्‍ट किया और उसमें गिन-गिन कर भाजपा के नेताओं व उनके वक्‍तव्‍यों को शामिल किया गया।

इस समय सउदी अरब का राजपरिवार संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ के मानवाधिकार आयोग का अध्‍यक्ष है और पाकिस्‍तान के हित में वह शीघ्र ही भारत को मानवाधिकार उल्‍लंघन के कटघरे में खड़ा करने वाला है। यह रिपोर्ट भी मोदी सरकार के पास है।


जांच में यह भी पता चला है कि उस अंतरराष्‍ट्रीय पीआर एजेंसी ने बड़े पैमाने पर भारत के पत्रकारों, मीडिया हाउसों व साहित्‍यकारों को फंडिंग की है और इस पूरे मामले को बिहार चुनाव के आखिर तक जिंदा रखने को कहा गया है।

गोटी यह है कि यदि भाजपा बिहार में हार गयी तो उसके बाद उसे बड़े पैमाने पर अल्‍पसंख्‍यकों के अधिकारों का उल्‍लंघन करने वाली सरकार के रूप में अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर प्रोजेक्‍ट किया जाएगा।

संभवत: इससे मोदी सरकार हमेशा के लिए बैकफुट पर आ जाएगी, जिसके बाद गो-वध निषेध जैसे हिंदुत्‍व के सारे मुददों को ताक पर रख दिया जाएगा।

अमेरिका खुद डरा हुआ है कि वहां क्रिश्‍चनिटि खतरे में है और बड़ी संख्‍या में लोगों का रुझान हिंदू धर्म की ओर बढ़ रहा है।


यदि भाजपा बिहार में जीत गयी तो राष्‍ट्रीय-अंतरराष्‍ट्रीय साजिशकर्ता मिलकर देश में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा को अंजाम दे सकते हैं और मोदी सरकार को पांच साल तक सांप्रदायिकता में ही उलझाए रख सकते हैं।

मोदी सरकार पूरी तरह से चौकन्‍नी है और वह स्थिति का आकलन कर रही है। संभवत: बिहार चुनाव के बाद बड़े पैमाने पर जांच शुरू हो, जिसे रोकने के लिए भी देश में कोहराम मचाए जाने की सूचना है।


इसलिए सभी भारतवासियों से हाथ जोड़ कर अपील है कि विदेशी साजिश का हिस्‍सा न बनें और सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखने में मदद करें।

यह देश आपका है, प्‍लीज अमेरिका-सउदी अरब-पाकिस्‍तान के हित में अपने देश को बदनाम न करें। आप हिंदू हों, मुसलमान हों, इसाई हों- लेकिन आपकी पहचान तभी तक है जब तक कि आपके पासपोर्ट पर 'इंडियन' या 'भारतीय' लिखा है- इसे कभी न भूलें
वन्दे मातरम्
अपील- पंडित दिनेश चंद्र शर्मा
अधिवक्ता
मथुरा