शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

जुगाड़, हम नहीं दे सकते....


मित्रों आज क्रिकेटिया बुखार देश पर चढ़ा हुआ है... इसी खुमारी में अपने को एक किस्सा याद आ गया.... बोले तो आप भी एक सवाल का ज़वाब दो... अपने देश में कौन सी चीज सबसे भारी है.... मेरे हिसाब से तो "जुगाड़"| ये हर जगह काम आता है.... भारत जैसे देश में कार से ले के सरकार तक... सब जुगाड़े से तो चलता है.... लीजिए एक किस्सा सुनिए..... 
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कुछ विदेशी सैलानी भारत घूमने आए। एक गांव में उनकी बीएमडब्ल्यू कार खराब हो गई। एक लोकल मकैनिक ने उसे ठीक कर दिया तो विदेशी सैलानी बहुत हैरान हुए। उन्होंने मकैनिक से पूछा कि कैसे ठीक किया तो मकैनिक ने कहा , 'जुगाड़ से'। 

सैलानियों को ट्रेन का टिकट नहीं मिल रहा था लेकिन एक एजेंट ने उन्हें टिकट दिलवा दिया। वे फिर हैरान हुए और पूछा कि कैसे हुआ , तो जवाब मिला , 'जुगाड़ से' । 

और भी कुछ जगह उन्हें दिक्कत आई लेकिन हर जगह 'जुगाड़' से उनका काम बनता गया। 

वे 'जुगाड़'के सिस्टम से इतने प्रभावित हुए कि अपने देश लौट कर उन्होंने अपने प्रधानमंत्री को लेटर लिखा कि भारत से 'जुगाड़' सिस्टम को मंगाया जाए , यह हर बिगड़ा काम बना देता है। 

उनके पीएम ने जब भारत के पीएम से 'जुगाड़' मांगा तो भारत के पीएम ने कहा , 'हम नहीं दे सकते , आखिर हमारी सरकार भी तो जुगाड़ से ही चलती है'!

बोले तो जुगाड़ जिंदाबाद..... 
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देव

8 टिप्‍पणियां:

शिवम् मिश्रा ने कहा…

जुगाड़ जिंदाबाद !

कमेन्ट भी जुगाड़ से दे रहे है ... कॉपी पेस्ट !

जुगाड़ जिंदाबाद!

Udan Tashtari ने कहा…

जुगाड़- जिन्दाबाद!!

Arun sathi ने कहा…

बहुत खूब, शानदार।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

:) :) यहाँ सब जुगाड से ही चलता है ..भला कैसे दे दें ?

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

जुगाड, जिंदाबाद...बहुत अचछा पोस्ट।

*गद्य-सर्जना*:-“तुम्हारे वो गीत याद है मुझे”

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जुगाड़ से ही चल रहा है यह देश।

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत खूब, शानदार जुगाड़।

Apanatva ने कहा…

ha ha ha ha !