देव बाबा का जन्मदिन वैसे तो ७ फ़रवरी को होता है मगर फ़िर भी एक सप्ताह की देरी से ही सही छाया चित्र अभी प्रस्तुत कर रहे हैं.... लीजिए... ६ फ़रवरी की काशिद यात्रा और ७ फ़रवरी, दोनों दिनों का वृतांत आपके लिए....
६ फ़रवरी की सुबह सुबह.. देव बाबा, मनीषा जी, हमारे नवदम्पत्ति मित्र गौरव भाई (हमारी शादी को अब ८ महीने हो गये हैं भाई तो हम सीनियर हैं, इसीलिए गौरव भाई को नवदम्पत्ति कह रहे हैं...) और हमारा सच्चा हमसफ़र... यानी की हमारी मारुती आल्टो मुम्बई से अलीबाग और काशिद की ट्रिप पर निकले। रविवार का दिन.... छुट्टी का दिन... वैसे भी सुबह नींद नहीं खुलती है भाई.... मगर मनीषा जी को तो बस इतना पता लग जाए की कहीं घूमनें जाना है बस फ़िर क्या.... उनकी रात की नींद वैसे भी उड जाती है..... (बडी हिम्मत जुटा के यह लिखें हैं)...
बहरहाल... मुम्बई से काशिद की यात्रा कोई १२० किलोमीटर की है.... कोपरखैरणें से पाम-बीच रोड पकडा गया और फ़िर बेलापुर, खारघर और पनवेल.... पनवेल के मैक-डोनाल्ड्स में नाश्ता..... (जानें ससुरें नें कऊन सा बर्गर खिलाया.... वह भी बिना चाय और काफ़ी के) .... फ़िर पनवेल जे एन पी टी के प्लाय-ओवर के नीचे से नेशनल हायवे-१७ पकडा गया। अलीबाग तक आनें में तो कोई दिक्कत नहीं हुई.... और आराम से आ गए।
यार नेशनल हायवे-१७ पर एक अजीब बात हमनें फ़ील की, आपको भी बतातें हैं...... अगर ५० मीटर लम्बा ट्रक २० किलोमीटर की रफ़्तार से जा रहा है और फ़िर उसे १०० मीटर लम्बा ट्रक २२ की स्पीड से ओवरटेक करेगा तो फ़िर कितनें किलोमीटर का जाम लगेगा..... हा हा... प्रश्न थोडा अजीब है मगर क्या कहिये.... नेशनल हायवे-१७ आज कल दुर्दशा का शिकार है... वाजपेयी सरकार नें इसको ४-लेन बनानें का प्रस्ताव रखा था.... अब तो भैया कांग्रेस की सरकार है.... कुछ नहीं हो सकता की तर्ज़ पर हमनें अपना धैर्य बनाए रखा और अलीबाग पहुंच गये।
अलीबाग से काशिद तक की यात्रा भी कम रोचक ना थी, एकदम गांव देहात वाला रस्ता, चौराहे की बाज़ार, कचरी, पापड, चकली बेचती हुई महिलाएं... मच्छी मार्केट.... मुम्बई वाले के लिए एकदम एंटीक.... बाबा आदम के ज़मानें की तस्वीर समझिए.... (यार अपनें ज़मानें का मेला याद किये... और बोले की यार ऐसा ही सब कुछ तो अपने यहाँ भी है तो फिर महाराष्ट्र और बिहार में क्या फर्क है ?) आगे बढ़ते रहे और कशिद बीच पर पहुँच कर एक कायदे की जगह देख कर हमने अपनी गाड़ी पार्क की और फिर वस्त्र बदल कर समुन्दर में डुबकी मारने पहुँच गए..... लीजिये आप लोग तस्वीरों से काम चलाइए....
देव बाबा, समंदर में गोते लगाते हुए... |
देव बाबा और मनीषा जी.... जल क्रीडा!!! हा हा..... ई चप्पलवा पर गौर किया जाए.... |
वाह, बूंदों से बातें...... |
केक भी बेचारा सोच रहा है की काटो जल्दी से... खाली फोटुआ हैच रहे हैं.... फिर शुरू हुआ बातचीत... बक बक का सिलसिला......
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सभी मित्रों, सभी शुभ-चिंतको के शुभ-कामना सन्देश के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.....
जय हिंद
देव कुमार झा
7 टिप्पणियां:
बढिया फ़ोटु हैंचे हैं।
घुमते रहिए,मौज कीजिए।
ऐसी ट्रिप तो महीने में एक बार हो ही जानी चाहिए..
अच्छा तो हम जब फोन किये थे तब हल्ला इसी लिए हो रहा था ... पूरी पार्टी चल रही थी ... वैसे कुछ फोटो तुम बचा लिए बाबु जैसे कि चहेरे पर केक का लेप और बर्थ डे बम्प्स !!! ;-)
बढ़िया ट्रिप रही फोटो सब बढ़िया है ... चलो कभी मुंबई आना हुआ तो फिर चलेंगें !
वाह रे वाह, जे हुयी न बात।
फोटो बढ़िया है
खुशनुमा पल!!बढ़िया!!
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