शनिवार आ गया :-) अपनें ई गुरु राजीव की भाषा में कहें तो फ़िर तो बडी निर्लज्जता से इसका इंतज़ार था भाई। कम से कम आज कुछ आराम मिलेगा..... नहीं तो बंधुआ मजदूरी कर कर के परेशान हो गये हैं भाई। यार जो एम एन सी में काम करते हैं ना ऊ त अव्वल दर्ज़े के मज़दूर हैं....
आई कार्ड जो आप अपनें गले में लटकाते हैं ना और फ़िर गर्व से घूमते हैं.... जईसे ई फ़ोटुआ देखिये देव बाबा का.... कईसे टेढे बईठे हैं...
ई आई-कार्ड नहीं कुक्कुरवा का पट्टा है, अऊर पट्टे पे मालिक (यानी की आपकी कम्पनी) का नाम लिखा है।
अब ई टाई देखिए.... ई कंठ लंगोट भी कुक्कुरवा का पट्टे है.... देखिए देव बाबा को...
जबकी हमारा असली रुप क्या है..... उपर टाई में त हम ना जानें कईसे गम्भीर प्राणी लग रहे हैं..... लीजिए भाई देखिए हमारा असली रुप देखिए.... दांत चियाईर के हंसते हुए देव बाबू....
कुछ समझे की नहीं.....
ऊ आ ह्म्म्म.......... इत्ते से ही काम चलाओ..... देव बाबू एक खुराक नींद मारनें जा रहे हैं.... मिलते हैं अभी थोडी देर में.... नींद की घंटी मार ले ज़रा....
-देव
-देव
8 टिप्पणियां:
लगे रहो देव बाबु ।
बहुत बढिया!
सुन्दरता तो असली रूप में फुदकती है।
mast ekdummm
ई कंठ लंगोठ त आकंठ तक पहुंच गया है।
अब आप पोस्ट लिखिए
हम भी एक नींद लेते हैं।:)
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
i card nahin kukurva ka patta hai
...........likha hai.
badhiya bahut badhiya
पहले में घोंचू
दुसरे में ठीक-ठाक
तिसरे में अपना यार. :D
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