मंगलवार, 6 जुलाई 2010

जय बरियाती और जय बनारस की गर्मी.....

वायदे के मुताबिक अपने अनुभव को ले कर आया हूँ... आज का टापिक है बरियाती....

आपने अजब गजब बरात देखी होगी... शहरों में बारात बैंड बजे के साथ कुछ यूँ निकलती है....
गाँव खेड़े में तो बारात कभी ट्रैक्टर, तो कभी खट्टर बस में सवार होती है..... आगे आगे पांच लाईट थामे एक नेता और पीछे पीछे पूरा रेला.... दूल्हा खुद को प्रधानमंत्री से कम नहीं समझता है और बरियाती अपने आप को किसी राजा से कम नहीं समझते.... बारात में शामिल हर खासो-आम को लगता है जैसे उसने इस बारात में आकर दुनिया का सबसे बड़ा एहसान कर दिया है और घराती उसके गुलाम हैं.... हमने भी दो बारात का अनुभव किया और घराती और बाराती दोनों रोल में खुद को पाकर अजीब सी अनुभूति प्राप्त की.....

अब सुनिया कुछ ऐसे वाक्य जो आपको भी गुदगुदाएँगे.....

रे दाल वाला.... इम्हर आ ना रे, कबहीं से चिचिया रहे हैं और तू हमको ही नहीं देख रहा है....
रे तेरी एक्को बेर चाय गर्म मिलबे नहीं किया.... सब ठंडा चाय मिल रहा है....
इत्ता गर्मी काहे है भाई, हमरे गाँव में तो एसी जैसा मजा है आज कल.........
काहे इत्ता देर हो रहा है, इ लोगों का तैयारी ठीक नहीं है...
सब पूरा संस्कृति चौपट कर रहे हैं....
गाँव छोड़कर शहर में आ बसे हैं, सब तौर तरीका बिसरा दिए हैं.....
सब एक्के में मिला दिया.... ई कौन तरीका हुआ खाना खिलाने का...
साठ-सत्तर रसगुल्ले निचोड़ निचोड़ कर खाने के बाद..... दूध मिलावटी था ना जी.... मजा नहीं आया....
इहाँ गाँव के बरियाती का मजा नहीं है.... शहर कहाँ गाँव की बराबरी कर सकता है....

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अब साहब क्या कहा जाये.... शायद आप लोगों ने भी कुछ अनुभव किया होगा इसी प्रकार का कुछ....

अभी देखिये बरियातिओं के बारे में हमारे भोला भैया के कुछ कमेंट्स (भोला भैया हमारे मौसेरे भाई हैं और इसी साल मैट्रिक पास करके इंटर में आये हैं)

सुनिए.... बरियाती के लिए चापाकल लगवाएं हैं की नहीं.... पानी पीने में दिक्कत नहीं ना होना चाहिए... (जैसे हर बन्दे के पीछे एक एक हैण्ड-पम्प लगवाना है क्या?)
सुनिए.... बरियाती के लिए जुत्ता पालिश करवाने वाला रखवाए हैं की नहीं..... (पूरा बरियाती चप्पल पहल कर आया है..... मगर व्यवस्था तो होना चाहिए ना)
सुनिए.... बरियाती के लिए टूथ-पेस्ट, दन्त मंजन रखवाएं की नहीं... (पूरा बरियाती दातुन करेगा.... मगर व्यवस्था तो होना चाहिए ना...)



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झेल हुई साहब.... दोनों बरियाती को कंट्रोल करना और दोनों बरियाती का मोमेंट बना कर रखना..... बहन की शादी निपटते निपटते दोनों पैरों में तीन छाले पड़ गए थे और पैर उठाना भी मुश्किल लग रहा था.... और बहन की शादी में तो बरियाती बनारस की अजीब सी गर्मी से परेशान हो गए थे..... यार बनारस इत्ता गरम क्यों है..... आस पास के इलाके में पानी बरस रहा है मगर बनारस में पानी की एक बूंद नहीं.... महादेव की नगरी में कुछ तो गड़बड़ है यार..... बहरहाल जय बरियाती और जय बनारस की गर्मी.....

-देव

11 टिप्‍पणियां:

Arvind Mishra ने कहा…

"आस पास के इलाके में पानी बरस रहा है मगर बनारस में पानी की एक बूंद नहीं.... महादेव की नगरी में कुछ तो गड़बड़ है '
बहुत गड़बड़ है बीरू बहुत ....और मिलाओ पानी में दूध और मुझे पनिहयी दूध से नहलाओ ..जाओ तुम सालों पानी पानी के भी तरस जाओगे .....कहा भोले बाबा ने सपने में ...

Himanshu Mohan ने कहा…

अत्यंत रोचक और आस-पास अनुभूत. बहुत खूब - भोले बाबा भी अहसान मानेंगे आदमी का - कि पानी से ही नहला रहा है - सिंथेटिक यूरिया वाले दूध से नहीं - सो बरसेगा मेघा, ज़रा धीरज धरो हो बबुआ!

Udan Tashtari ने कहा…

जय बरियाती और जय बनारस की गर्मी


-बहुत रोचक रहा!

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बढ़िया रहा ..........फिर भी सब मज़े से हो गया यह क्या कम है ??
जय हो देव बाबु की !

राम त्यागी ने कहा…

मजा आ रहा है :-)

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बड़ा आनन्द बना रहता है लोगों के सुविधात्मक उद्गारों से ।

The Straight path ने कहा…

बढ़िया रहा

Stuti Pandey ने कहा…

हा हा ....गाँव देहात के शादी का मज़ा ही अलग होता है. मुझे सबसे ज्यादा मज़ा आता था जब बाराती वाले आँगन में हों, और मैं एकदम ठेठ भोजपुरी में बात कर रही हूँ! सब के चेहरे देखने में आते थे.

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

Ham to itta hi kahenge, ji Garmee.
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चिर यौवन की अभिलाषा..
क्यों बढ रहा है यौन शोषण?

संजय भास्‍कर ने कहा…

kya baat hai.

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji ने कहा…

ha ha ha
महादेव की नगरी में कुछ तो गडबड है ही.
मल्लब बाराती अउर घराती बनके खूब मजा लूटे.
ये तो कमाल हो गया,
तू तो मालामाल हो गया.