गुरुवार, 3 जून 2010

बारिश में भीगे... मैं और मेरी आवारगी.... -देव

यार आज कुछ मन ठीक नहीं लग रहा है.... कुछ सुस्ती सी आ रही है...हल्का बुखार सा लग रहा था सुबह सुबह... देव बाबु पहली बारिश में जरा छपका मारने निकल गए थे.... भूल गए थे की अब मुम्बई का पानी पीते हैं... बनारस का नहीं... सो भैया सर्दी तो लगनी ही थी.... वैसे शाम को जब ऑफिस से घर आया तो हालत कुछ ज्यादा ही गड़बड़ लग रही थी.... सो आज किसी भी ब्लॉग को पढ़ नहीं पाया.... वैसे कोई बात नहीं.... कम से कम बारिश में छपका तो लगाया...... मजा लिया और क्या.... वैसे रात के दो बजे बारिश का एक ज़बरदस्त जोर आया और देव बाबा अपने अन्दर के बच्चे को रोक नहीं पाए... और फिर निकल गए छपका लगाने.... सड़कों की लाइटे... दो सेक्योरिटी वाले और निक्कर पहने ........ देव बाबा.... वाह वाह... क्या अद्भुत संयोग.... धूम पिक्चर वाला सीन... दिलबरा... दिलबरा.... अपुन की तू.... अपुन तेरा.....

मगर कोई आई नहीं.... वैसे कोई बात नहीं.... देव बाबा के साथ देव बाबा की आवारगी थी ना.... बेरोकटोक एकदम मस्त भीग रहे थे.... जैसे खुली हवा में पतंग उड़ रही हो.... वाह वाह.... भाई मजा आ गया....

बारिश में भीगे...
मैं और मेरी आवारगी....
खूब मिल के झूमे
मैं और मेरी आवारगी...
पानी में छपक छपक...
देव बाबा कूदे मटक मटक....

वैसे सर अभी भी दुख रहा है और भैया नींद भी आ रही है.... बारिश में नहाने का तो मजा आया अभी कुछ आराम कर लिया जाए..... बाकी भाई लोगों कल मिलता हूं.....

-आपका अपना देव

15 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

अब, जरा संभल के--थोड़े ही दिन बचे हैं मटकने को. :)

देव बाबा कूदे मटक मटक....

शिवम् मिश्रा ने कहा…

१८ दिन ही तो बचे है, समीर भाई .............!! कर लेने दो बच्चा है फिर बेचारा कहाँ कर पायेगा यह सब ! आप तो सब कुछ जानते ही हो !! ;)

संजय भास्‍कर ने कहा…

पानी में छपक छपक...
देव बाबा कूदे मटक मटक....

...बहुत खूब, लाजबाब !

संजय भास्‍कर ने कहा…

. वाह वाह.... भाई मजा आ गया....

sonal ने कहा…

baarish aa gai kyaa ?
thodi noth mein bhi bhej dijiye ..

दिलीप ने कहा…

badhiya sirji bheego bheego par sehat ka dhyan bhi rakho...jaane ham kab bheegenge...:(

संगीता पुरी ने कहा…

वाह !! बहुत खूब !!

माधव( Madhav) ने कहा…

wah wah

Bharat ने कहा…

देव जी,
वैसे तो आपके ब्लाग पर रोज ही चक्कर लगा जाते हैं, नई नई ब्लागिंग शुरु की है और अभी केवल लोगों की पोस्ट पढ कर कुछ गुर सीख रहा हूं।
आपकी मासुमियत आपकी पोस्ट से झलकती है, सो इसे हमेशा बनाएं रखे। अपनें अन्दर के बच्चे को हमेशा बचाएं रखे ।

और हां, अपनी तबियत का भी ख्याल रखें।
-भरत, नई दिल्ली

Bharat ने कहा…

लो एक हमारी तरफ़ से भी

ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लो,
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वो कागज़ कि कश्ती वो बारिश का पानी


देव बाबा, यार बचपन याद दिला दिए हो। कुछ दो चार छींटे दिल्ली भी भिजवा दिए होते.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

अरे! अब तबियत कैसी है? यहाँ लखनऊ में भी आज आंधी आई थी.... सोचा की बारिश हो तो थोडा हम भी भीग लें......

M VERMA ने कहा…

कम से कम बारिश में छपका तो लगाया......
चलो नैसर्गिक छपका तो लगाया

Shekhar Kumawat ने कहा…

देव कुमार झा


bas ek bar jam kar is shukhi dhara par barish ho jayeto jam kar nachunga mor ki taarha


barish ka intar he mujhe aaj

Jandunia ने कहा…

अच्छी पोस्ट

Unknown ने कहा…

बारिश में भीगे...
मैं और मेरी आवारगी....
खूब मिल के झूमे
मैं और मेरी आवारगी...
पानी में छपक छपक...
देव बाबा कूदे मटक मटक....


सुन्दर रचना