आज कुछ कवितायें प्रस्तुत कर रहा हूँ..... कुछ ऐसी कुछ वैसी.... कुछ इधर की कुछ उधर की..... बस मन हुआ की आज कुछ मिली जुली बातें की जाएँ.....
वैसे अकेले रहनें और अकेले ज़िन्दगी बसर करना, आत्म चिंतन के लिये बहुत आवश्यक है... मन के भाव अजीब अजीब मोड लेते हैं... कभी कविताओं की शक्ल में तो कभी कहानिओं के रुप में सामनें आते ही रहते हैं... लीजिए कुछ लम्हे आपके साथ बांट रहा हूं, पसन्द आए तो बताईए और यदि सुधार की कोई गुंजाईश हो तो भी बताईए...
समन्दर और इंसान
समंदर अथाह है,
अनंत है
ऊपर से
समंदर बैचैन है
नीचे से शांत है
समंदर में
राम सा धीर है
लक्ष्मण सा वेग है
कृष्ण सी उर्जा है
शिव सा प्रलय है
समंदर अथाह है
समंदर अनंत है
इश्वर से मिलना है?
इश्वर से मिलना
कोई अनोखी बात नहीं
रोज़ मिल सकते हो...
कैसे?
अरे इश्वर कहीं और नहीं
तेरे मन में ही तो है
राम और अल्लाह
तेरे घर ही तो हैं
कुछ शेर... देव बाबा की कलम से
एहसासों के समंदर में धीरे धीरे तैरा करो
समंदर की तेज़ धारे साहिल से दूर कर देंगी
और मत भूल की साहिल पे तमाशबीन बहुत हैं
एक गलती भी तुम्हे ज़िन्दगी से दूर कर देगी...
और अन्त में एक कविता, वैसे तो बहुत दिनों पहले भी ब्लोग पर पोस्ट कर चुका हूं, मगर फ़िर भी आज पोस्ट करनें का मन हो रहा है.... लीजिए...
मैं अँधेरे में खो जाना चाहता हूँ
कहीं भीड़ में गुम हो जाना चाहता हूँ
फिर कोई उदास सी शाम
समंदर सूर्य को अपने आगोश में लेता हुआ
शाम की लालिमा में
अपने आप को भूलकर
कही निकल जाना चाहता हूँ...
मैं फिर से भीड़ में गुम हो जाना चाहता हूँ
गले तक कुछ भर आता है
मेरे मन को बहुत सालता है
हर अजनबी में
अपना सा कोई तलाशता है
वैसे ही किसी अजनबी की तलाश में
कही निकल जाना चाहता हूँ
मैं फिर से भीड़ में गुम हो जाना चाहता हूँ
बस ऐसे ही मन हुआ की कुछ अपनें मन के भावों को ब्लोग पर पटका जाए... और कुछ राहत पाई जाए। कहिए कैसी कही....
-आपका अपना देव
(चित्र मेरे हरि-हरेश्वर यात्रा के दौरान लिया लगा, जिस पर एक पोस्ट अपने अंग्रेजी ब्लाग पर प्रस्तुत कर चुका हूं, लिंक यह रही)
15 टिप्पणियां:
धैर्यता व नम्रता नामक दो गुणों से व्यक्ति की ईश्वर से समीपता बनी रहती है।
बहुत अच्छी पोस्ट।
अरे इश्वर कहीं और नहीं
तेरे मन में ही तो है
राम और अल्लाह
तेरे घर ही तो हैं
सही कहा है!
कविवर देव बाबा की जय...
ज्यादा दिन अकेले रह गये तो हम कवियों की तो रोजी रोटी के लाले पड़वा दोगे महाराज!!
बहुत उम्दा भाव और उत्तम रचनायें.
जिओ!!
Dev bhai meri request par kavita post kar di
samman ke liye
dhanywad
बहुत से गहरे एहसास लिए है आपकी रचना ...
दिल को छू रही है यह कविता .......... सत्य की बेहद करीब है ..........
एक एक शेर जैसे एक एक अनमोल मोती ....
तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.
ये समंदर वाली जबरदस्त बन पड़ी है.
और ये प्रोफाइल की पहले वाली फोटो ही सही थी. उसमें देव बाबा के दर्शन करके पाँव छू लेता था. इसमें दिखे ही नहीं !!
आज हम आशीर्वाद से वंचित रह गये !!
@संजय भाई...
बहुत बहुत धन्यवाद.... इत्ती सारी टिप्पणियाँ...
@उड़न दद्दा...
आपके चेंज के बाद नयी वाली कविता अपनी आने वाली किताब के लिए संचित कर ली.... जल्दी ही अपडेट करूँगा...
@राजीव...
देव बाबा का आशीर्वाद बना रहेगा भाई.... फोटुआ ना चेंज हुआ है... देव बाबा तो वहीँ हैं ना....
कविवर देव बाबा की जय...
बहुत से गहरे एहसास लिए है आपकी रचना ...
bahut achha laga pad kar bahut khub
http://kavyawani.blogspot.com/
waah bahut sundar...
अफरीन अफरीन ........बेहद उम्दा ......
अपने आप को भूलकर...
मैं फिर से भीड़ में गुम हो जाना चाहता हूँ...
यही ज़्यादा श्रेयस्कर है शायद...
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