हिन्दू कितने...
मुसल्मा कितने...
गिनो
और पूरी कर लो
देश की
जनगणना
एक एक गाँव में जाओ
एक एक इन्सान को हिलाओ
और पूछो
क्या जात है तेरी
तभी तो पूरी होगी ना
मेरे देश की
ताजा जनगणना
सब गिन डालो..
ताकि अंदाज़ा हो जाये
वोट की गुणा गणित का
और हो जाये
बढ़िया तयारी
अगले चुनाव की
-देव
24 टिप्पणियां:
बहुत शानदार और ग़ज़ब कि कविता....
बेहतरीन कविता है,लेकिन यह हकीकत किसकी समझ मैं आती है.
शानदार रचना और सार्थक सोच
हकीकत तो यही है कि सब वोट के फंडे हैं.
इंसानों की गिनती करना ही कौन चाहता है
nice
बहुत अच्छी पोस्ट,बढिया लिखा आपने,बधाई आपको।
Insaan hai bhee kahaan jo gine jaaye ?
बहुत सटीक बात कही!
खरी बात !
bahut khoob...
बहुत सटीक बात कही!
सार्थक -सटीक रचना ..
bahut khub,
ek dam sahi likha hai aap ne.
lekin ye baat hamare netawo ko samajh me aaye tab na
जात ना पूछे .................पात ना पूछे ................. ना पूछेगा तेरा धर्मा...........रुब तेरा पूछेगा ओह बन्दे .................क्या था तेरा कर्मा !!
बेहतरीन रचना. बहुत खूब!
आपकी रचना बहुत ही बढिया है लेकिन अब तक आपके ब्लाग पर पापाजी अवतरित नहीं हुए आश्चर्य किन्तु सत्य है। अब दस-बारह दिन तो कम से पापाजी चलेगा ही।
आपकी रचना बहुत ही बढिया है लेकिन अब तक आपके ब्लाग पर पापाजी अवतरित नहीं हुए आश्चर्य किन्तु सत्य है। अब दस-बारह दिन तो कम से पापाजी चलेगा ही।
आपकी रचना बहुत ही बढिया है लेकिन अब तक आपके ब्लाग पर पापाजी अवतरित नहीं हुए आश्चर्य किन्तु सत्य है। अब दस-बारह दिन तो कम से पापाजी चलेगा ही।
सचाई के करीब होना आदत लगती है आपकी
वन तस्कर जंगल में अवैध रूप से अंधाधुंध लकड़ी काटते हैं और उसकी तस्करी करके मोटा मुनाफ़ा कमाते हैं। वे उसे अधिकारियों और नेताओं के साथ मिल बांट कर खाते हैं। इसलिये वे कभी पकड़े नहीं जाते। इसके नतीजे में पर्यावरण बिगड़ता है।
http://blogvani.com/blogs/blog/15882
@राज कुमार जी.... यह पापा जी कौन हैं.... वैसे तो काम भर का समझदार हूँ, मगर पापा जी को नहीं पहचान पा रहा हूँ....
...अदभुत !!!
पुत्र
तूने मुझे याद किया
तू अच्छा लिख रहा है सफ़लता मिलेगी
पापा जी
जनगणना
एक एक गाँव में जाओ
एक एक इन्सान को हिलाओ
और पूछो
क्या जात है तेरी
.........बहुत खूब, लाजबाब !
......... प्रशंसनीय रचना - बधाई
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