कुछ पल फ़ुरसत के...
आज फ़िर से मिले
कुछ पल फ़ुरसत के
कुछ पल अपनें लिए
कुछ अपनी कलम के लिए
कुछ पुरानी यादों से
दो चार होती हुई
कुछ पुरानें दोस्तों से
गप्पे लडाती
अपनें बचपन से
कुछ पल चुराती
वाह क्या खूब गुज़री
यह सुबह
वाह क्या खूब मिली
मैं और मेरी तनहाई...
मैं और मेरी तनहाई...
-देव
11 टिप्पणियां:
वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपकी आपकी तन्हाई से सुन्दर मिलन दास्तान काफी अच्छी लगी
अपने लिए टाइम निकलना बहुत जरूरी है ...टेडी भी खुश दिख रहा है देव के साथ :)
देव जी यह भी बताइए कि क्या आप और आपकी तन्हाई कभी कभी कुछ बातें भी करती हैं। अगर हां तो क्या बातें करती हैं। अगर नहीं तो क्यों नहीं।
http://udbhavna.blogspot.com/
अरे वाह वाकई दिल प्रसन्न हो गया अच्छा लगा
तन्हाई से मिलन देव बाबू का..बहुत बढ़िया!
तनहाई सबसे अच्छी दोस्त होती है, सुन्दर कविता
देव बाबु और तन्हाई ...............यह बात कुछ हज़म नहीं हुयी !!
देव बाबु और तन्हाई ...............यह बात कुछ हज़म नहीं हुयी !!
तन्हाई से दोस्ती कर लो ,,,,खुद- ब- खुद दूर हो जायेगी ...बढ़िया रचना
कुछ पल अपनें लिए
कुछ अपनी कलम के लिए
कुछ पुरानी यादों से दो चार होती हुई
सुन्दर कविता...
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