रविवार, 23 मई 2010

मुम्बई से पुणे.... और फिर पुणे से मुम्बई... भाई वाह

भाई लोगों,
यार मुम्बई से पुणे और फिर पुणे से मुम्बई.... क्या बढ़िया रास्ता और क्या मजे की ड्राइव.... समझ में नहीं आता की कितनी स्पीड पे गड्डी भगाओ.... देव बाबा के पास तो मारुती अल्टो है और वह कोई एक सौ बीस.... पच्चीस तक जाती है और मैं कोशिश यही करता हूँ की अपनी सीमा में ही रहा जाए और उसी में मजे लेते हुए आराम से चला जाए.... उसी में आनंद है यार...

यह रही हमारे ट्रिप के दौरान मुम्बई पुणे एक्सप्रेस वे की कुछ तस्वीरें









एक सौ तीस किलोमीटर की रफ़्तार पर कुछ ऐसा चित्र बनेगा....




पुणे यार अजीब शहर लगा हमें.... ना कोई हेलमेट लगाता है यहाँ और जनता कहीं से भी घुसती है यार.... भैया गजब तो तब हो गयी जब उलटी दिशा से ट्रक आते देखा... मुझे लगा कहीं नो एंट्री में तो गड्डी नहीं डाल दी... मगर नहीं यार यह तो आम है यहाँ के लिए... क्या करें मुम्बई की आदत लगी है ना सो लेन में ही चलते हैं... यहाँ उलटी गंगा बड़ी अजीब लगी | पुणे वालों को शायद यही अच्छा लगेगा.... जिसको जो भाए वह अच्छा ना....

वैसे तो वह एक और ज़माना था जब गाँव की पग डंडी पे चलना और फिर बैलगाड़ी से गन्ने खीचना..... दिन भर पूरे शहर के चक्कर एक सायकिल से लगाना.... भाई वाह आज भी सोच के मजा आने लगता है यार... उस ज़माने की आदत आज भी बरक़रार है ना.... तब उपरे से कोई हवाई जहाज जाता था तब मुह बाए उसको टाटा भी करते थे.... आज भी हमारी छत से हवाई जहाज जाता हुआ कुछ ऐसा दिखता है..... बाद बिना सोचे कपार अपने आप ही उठ जाता है... जैसे उसको टाटा नहीं करेंगे तो आगे नहीं जायेगा... हमरा टाटा उसके लिए सिग्नल है ....




बहरहाल मुम्बई से पुणे के ट्रिप में गड्डी भगा रहे थे और मन ही मन प्रसन्न भी थे और सोच रहे थे की काश हिंदुस्तान की सभी सड़के इन्ही सड़कों की तरह हो जाती....

मुम्बई आने के बाद..... लीजिये भोग लगाइए... अरे भाई.... कम से कम इसको तो पूरा हिंदुस्तान पहचानता ही है ना.... और फिर अगर मुम्बई में बनारसी बोर्ड दिखेगा तो फिर तो देव बाबा जैबे करेंगे....




लो देखो और खाओ..... मतलब आँखों से ... नहीं तो फिर सायन के पास चले जाना वही पे इन साहब का ठेला दिखा था हमें...
बाकी तो सब एकदम मस्त मजे में ही है.... थकान काफी हो गयी है और दो हफ्ते लगातार राउंड मारने की वजह से ब्लोगिंग से दूर भी था... क्या करें भाई... रोजी रोटी की भी तो चिंता करेंगे ना........... अभी वापसी तो हो गयी है...

-देव

11 टिप्‍पणियां:

विवेक रस्तोगी ने कहा…

130 की स्पीड बाबा रे बाबा वो भी अपने भारत में, आश्चर्य है और वो भी अल्टो में।

और हमारी कमजोरी का सबसे आखिरी में फ़ोटू लगा दिया अब सायन जाना पड़ेगा। :)

Udan Tashtari ने कहा…

सही है..अब वापस शुरु हो जाओ. तस्वीरें मस्त रही.

हें प्रभु यह तेरापंथ ने कहा…

भाई! यह मुंबई पुणे एक्सप्रेस वे है! एक्सीलेटर कम पड़ा होगा ?

घ्यान दे

सावधानी बरते!

नजर हटी
दुर्घटना घटी !!!!
यह शब्द भी साइन बोर्ड पर पढने कों मुंबई पुणे एक्सप्रेस वे पर मिल जाएगे!

बेनामी ने कहा…

बढ़िया!
हमें भी कुछ अंदाज़ा हो गया कि इस पर अपनी गाड़ी कैसे दौड़ाई जाए जुलाई में

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji ने कहा…

पानी आ गया मुंह में
बनारसी भेल देख के.
कै रूपये का दिया था जी !!

नीरज मुसाफ़िर ने कहा…

सावधानी हटी
दुर्घटना बढी

Dev K Jha ने कहा…

@राजीव भैया, आठ रुपैये का पानी पूरी... और बारह रूपये का दही पूरी....
और हां उसका वर्णन कल करूँगा.... चाट खानें का मजा तो भई क्या कहनें...

Bhagalpuri ने कहा…

Bhai Ji,
एक सौ तीस किलोमीटर की रफ़्तार पर कुछ ऐसा चित्र बनेगा....
humne es photo ko 2,3 Times
Dekhane ke baad mujhe laga ki thora sa aap ko free me advice de du....

bata Kahi tu Engg se Driver to nahi ban gaya hai.

Vivek(Bhagalpuri)

संजय भास्‍कर ने कहा…

पानी आ गया मुंह में
बनारसी भेल देख के. .........

शिवम् मिश्रा ने कहा…

गलत बात है यार अकेले अकेले मज्जा करते रहते हो ...........अब चाट खाने गए थे तो भैया बुला ही लिए होते !!

राम त्यागी ने कहा…

ये तो बढ़िया बात रही ...कल हम भी शिकागो गए थे, हर बार ट्रेन से जाते है पर इस बार कार से गए ...मौसम में थोड़ी गर्मी थी सो मजा आ गया.
देश वाली चाट तो हर वक्त मिस करते है भाई ..