मंगलवार, 11 मई 2010

देव बाबा की एक कविता.... यह छोटी सी दुनिया


तेरी और मेरी
यह छोटी सी दुनिया
तेरी हंसी मेरी हंसी
तेरी ख़ुशी से मेरी ख़ुशी
सतरंगी इंद्र-धनुष सी
प्यारी यह दुनिया
हाँ यही तो है
तेरी और मेरी
यह छोटी सी दुनिया

सुख और दुःख
का आभास
निर्मल और मुक्त
कंठो के स्वर
कितना आह्लादित
कितना आनंदित
होता मन
एक तेरा साथ
फैलाता सतरंगी एहसास
हाँ यही तो है
तेरी और मेरी
यह छोटी सी दुनिया

-देव

8 टिप्‍पणियां:

शिवम् मिश्रा ने कहा…

यह दुनिया सलामत रहे !! आमीन !!

Udan Tashtari ने कहा…

बड़ी प्यारी सी है यह छोटी सी दुनिया..बनी रहे. बढ़िया रचना.

Ra ने कहा…

अब इतनी देर रात तक जागकर लिखोगे तो कलम से सुन्दर रचना ही जन्म लेगी ...:) ....सुन्दर प्रस्तुति ..बधाई के साथ दुआ भी ...की ये छोटी से दुनिया यूँ ही आबाद रहे

राम त्यागी ने कहा…

छोटी सी प्यारी सी मनोहारी सी दुनिया ...सो जाओ वत्स अब ...हम तो अमेरिका में है तो अभी सांझ है पर आप मुंबई में इस बेला में अभी भी जाग रहे हो या अभी अभी जागे हो ?

समयचक्र ने कहा…

एक तेरा साथ
फैलाता सतरंगी एहसास
हाँ यही तो है
तेरी और मेरी
यह छोटी सी दुनिया

बहुत सुन्दर रचना ..पढ़कर सुबह सुबह तबियत खुश हो गई... आभार

Udan Tashtari ने कहा…

एक अपील:

विवादों को नजर अंदाज कर निस्वार्थ हिन्दी की सेवा करते रहें, यही समय की मांग है.

हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार में आपका योगदान अनुकरणीय है, साधुवाद एवं अनेक शुभकामनाएँ.

-समीर लाल ’समीर’

रवि कुमार, रावतभाटा ने कहा…

सभी के हिस्से का हक है...यह छोटी से दुनिया...
बेहतर...

janjwar ने कहा…

acchi rachna