गुरुवार, 4 जून 2015

सैनिक का मानवाधिकार!!

शसस्त्र सैन्य बल को विशेष अधिकार प्रदान करने वाला क़ानून आज कल चर्चा में है। हमारा बुध्दिहीन "बुद्धिजीवी" वर्ग इसका विरोध कर रहा है, मानव अधिकारों की दुहाई दे रहा है। कई एक तो इस हद्द तक कहते हुए पाए गए कि लोग सेना में जाते ही मरने के लिए तो फिर दिक्कत क्या है। यह लोग इस प्रकार की बकवास सिर्फ इसलिए कर सकते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि देश के सैनिक रात दिन एक करके, अपनी जान जोखिम में डाल कर भी अपने देश की सुरक्षा में तत्पर रहेंगे। यदि आतंकियों का मानव अधिकार है तो देश के सैनिक को उसका अधिकार नहीं मिलेगा?

हँसते हँसते जान कुर्बान कर दी, लोग सैनिक के जनाज़े में बड़ी बड़ी कसमे और वादें कर आए, लेकिन जब मंत्रीजी घर पहुंचे तो फिर असली और प्रैक्टिकल मुद्दों पर ध्यान देने लगे और वोट बैंक तलाशने लगे। माइनॉरिटी वोट चाहिए तो चलो कश्मीर में सेना का अधिकार कम कर देते हैं। मित्रों मेरी आज तक समझ नहीं आया यह मुस्लिम वोटबैंक क्यों है? आखिर इनके पास अपनी बुद्धि कब आएगी। आखिर क्यों आज भी यह अपनी बुद्धि की जगह इमाम के फतवे पर वोट देते हैं। मुस्लिम आज भी एक अशिक्षित समाज है, यह जिनको वोट देते हैं उन्होंने इन्हें पिछले साठ सालों से जान-बूझ कर ऐसा ही बनाए रखा है। यदि यह शिक्षित हो जाएंगे, अपना भला बुरा सोचने लगेंगे और इमाम के फतवे की जगह अपनी बुद्धि से काम लेंगे तो भारत की जाति समस्या तुरत फुरत में ख़त्म हो जायेगी। यह एक सोचने वाला विषय है।

मीडिया का एक बड़ा वर्ग, एनजीओ का एक बड़ा गैंग, विदेशी देशों से फंडित कई राष्ट्रविरोधी संगठन नहीं चाहते कि देश में शान्ति रहे.. उन्हें मुद्दे चाहिए अस्थिरता के लिए। मोदी सरकार की गतिविधियों को कमज़ोर करने के लिए यह किसी भी हद्द तक जा सकते हैं। इन लोगों का "आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पॉवर एक्ट" का विरोध देशद्रोह है। ऐसे लोगों को सीमा पर भेजने की तैयारी करनी चाहिए ताकि यह सेना की स्थिति को समझ सकें। साठ सालों से जिस अलगाववाद को हमारी राजनीति की गन्दी और घिनौनी पौध ने सिर्फ इसलिए पाल रखा है क्योंकि उन्हें सिर्फ सत्ता चाहिए तो फिर ऐसे में इसकी सफाई नितांत आवश्यक है।

यदि देश में पाकिस्तान के झंडे लहराने से आपकी पेशानी पर कोई बल नहीं पड़ते तो मान लीजिये आप इन्ही बुद्धिहीन बुद्धिजीवियों में से एक हैं।

सोच कर सोचियेगा!!

2 टिप्‍पणियां:

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…


ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, आज विश्व पर्यावरण दिवस है - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

DK Meena ने कहा…

भारत में सैनिक सेवा अनिवार्य कर देनी चाहिए, फिर देखते है कौन कहता है कि सैनिको का मानवाधिकार नही होता है।