कहना आसान है करना मुश्किल.... यह बात बिलकुल ठीक है.... आज कल देश उथल पुथल है... हमारी सोच उथल पुथल है... यकीनी तौर पर यह दौर उस ज़माने से अलग है... मीडिया अधिक सजग है और किसी भी बात का बतंगड़ बनाने में पीछे नहीं है... फेसबुक और ट्विटर जैसे माइक्रो ब्लागिंग टूल हर समय इधर की बात उधर करने के लिए लगभग हर बड़ी शख्सियत के द्वारा इस्तेमाल की जाती हैं... यहाँ एक बात कहना ज़रूरी होगा की लगभग हर शख्स से मेरा मतलब पत्रकारों से भी है... हर पत्रकार ने अपने अपने चश्मे से हर बात का बतंगड़ बनाया.... अपनी अपनी मानसिकता से जनता के लिए मामले को और अधिक उलझाया....
मेरे हिसाब से ट्विटर एक बहुत अच्छा माध्यम है किसी भी बात को कहने का.... मगर देश के प्रति सरोकार जैसी कोई चीज है या नहीं... आपके पास कहने और बोलने की आज़ादी है मगर इसका यह मतलब थोड़े ही है की आप सिनेमा हाल में आग आग चिल्लाने लगे.... हमारा मीडिया एकदम आग आग चिल्लाने जैसा ही है... किसी भी खबर को दिखाना अलग बात है और उसपे मिर्च मसाला लगा के अपनी व्यक्तिगत सोच को पत्रकारिता पर हावी होने देना बहुत ही गलत बात है.... इन बुद्धिमान लोगो का इस प्रकार का उदाहरण कम से कम देश की जनता के लिए तो खतरनाक है ही.....
मेरे हिसाब से ट्विटर एक बहुत अच्छा माध्यम है किसी भी बात को कहने का.... मगर देश के प्रति सरोकार जैसी कोई चीज है या नहीं... आपके पास कहने और बोलने की आज़ादी है मगर इसका यह मतलब थोड़े ही है की आप सिनेमा हाल में आग आग चिल्लाने लगे.... हमारा मीडिया एकदम आग आग चिल्लाने जैसा ही है... किसी भी खबर को दिखाना अलग बात है और उसपे मिर्च मसाला लगा के अपनी व्यक्तिगत सोच को पत्रकारिता पर हावी होने देना बहुत ही गलत बात है.... इन बुद्धिमान लोगो का इस प्रकार का उदाहरण कम से कम देश की जनता के लिए तो खतरनाक है ही.....
3 टिप्पणियां:
प्रचार माध्यमों का विचार हो चुका, अब विचार माध्यमों का प्रचार हो।
आवाज़ निकलेगी तो बाबु दूर तक जाएगी ... और यह तो बकायेदा युद्धघोष है !!
आपसे सहमत।
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