सोमवार, 19 अप्रैल 2010
ए मेरे दोस्त लौट के आ जा.... बिन तेरे ज़िन्दगी अधूरी है...
आज मुझे मेरे सबसे प्रिय मित्र की बहुत याद आ रही है, उसी को याद करते हुए एक कविता और यह गीत समर्पित कर रहा हूं... अगर मेरा दोस्त इसे देख रहा है तो समझ ले की दोस्त मेरे लिए तो तू मेरा सब कुछ है... आ जा वापस लौट कर आ जा मेरे दोस्त... बस वापस आ जा...
कितने प्यारे थे वह दिन...
जब थे साथ
हम और तुम...
लगा जैसे ज़िन्दगी
के मायने बदल गए
लगा जैसे ज़िन्दगी
फिर से खिलखिला उठी
और बिना परों के
जैसे उड़ पड़े हम...
धीरे धीरे तुम
ज़िन्दगी का
अटूट हिस्सा बन गए...
मेरे विचारों की गंगा बन गए
तुम सा मित्र पाकर
जीवन धन्य हुआ..
ऐसा लगा जैसे
प्रेम अनन्य हुआ...
मगर फिर
विचारों के द्वेष में...
बिना कुछ बोले..
बिना कुछ सुने...
मुझे अकेला कर गए...
मेरे दोस्त..
मेरी ज़िन्दगी को क्यों
वीराना कर गए...
अब ज़िन्दगी
को कोई शाम
भली नहीं लगती
कोई सवेरा
उत्साह नहीं जगाता
कोई समंदर
मन को शांत नहीं कर पाता
तेरे दरस को
नैना तरसे....
तुझसे मिलने को
हर पल बरसे...
लौट आ मेरे दोस्त
जल्दी से लौट आ मेरे दोस्त.....
-देव
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8 टिप्पणियां:
बहुत ही भावपूर्ण रचना देव जी । सच कहा आपने दोस्तों का अपना एक अलग ही महत्व होता है जीवन में । शुभकामनाएं
बहुत उम्दा और भावपूर्ण...दोस्त तो दोस्त होता है..
दोस्त तो दोस्त होता है..
एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब
bahut khub
achi lavita he
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
दोस्ती पर लिखी अच्छी कविता...
wah wah..... Galat line me aa gaye mitra :)
बेहतर...
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