सोमवार, 19 अप्रैल 2010

मेरा भारत महान...

तो मित्रों आज की दिहाड़ी निपटा आये... मेरा मतलब ऑफिस से घर आ गए हैं.... वैसे कोई बहुत बड़ा तीर नहीं मारा है... बस एक दिन की मजदूरी निपट गयी.... ऐसा समझिये | आज हीरानंदानी से घर तक आने में पुरे दो घंटे लग गए... दो घंटे में से एक घंटा तो भाई आई आई टी पर करने में ही लग गए और बाकि का पैतालीस मिनट आई आई टी से गाँधी नगर फ्लाय ओवर तक पहुचने में लगे... अभी आप सोचिए तीन किलोमीटर आने में एक घंटा और पैतालीस मिनट...? तो उत्तर है जी हाँ... बाकि की पंद्रह किलोमीटर की यात्रा हमने महज पंद्रह मिनट में पार कर ली... अब आप पूछिए यह नौ दिन चले अढाई कोस की कहावत चरितार्थ कैसे हुई | तो मेरे मित्रों यह ऐसे ही चरितार्थ नहीं हुई, इसके लिए मुम्बई की ट्रैफिक व्यवस्था की सर्वेसर्वा यानी की अपने ट्रैफिक के मामा लोगों ने बहुत प्रयास किये.... उनके अथक प्रयासों से ही इस प्रकार का जाम मुमकिन हो पाया है | आखिर इतनी मेहनत जो की है भाई.... मामा लोगों की बिरादरी जाग्रत है.... और पूर्ण रूप से इसी कोशिश में है की जाम ऐसे ही बने रहे... सड़क हमेशा ऐसे ही घिसकती रहे... गाड़ियाँ ऐसे ही सरकती रहे... नौ दिन चले अढाई कोस की कहावत हर सड़क पर चरितार्थ होती रहे.... |

वैसे इसमें सोचने वाली बात ज्यादा है की आखिर ऐसा कैसे है.... और इनके पीछे ज़िम्मेदार लोग कौन हैं.... दर-असल मुम्बई शहर की ट्राफिक समस्या के पीछे ज़िम्मेदार केवल और केवल मुम्बई की यातायात पुलिस है.... केवल और केवल मैंने इसलिए लिखा है क्योंकि वाकई में यह मामा लोगों की कौम पूरे शहर की सडकों को बर्बाद कर रही है | आप लोग मुझे एक बात बताइए... आज तक कभी ट्राफिक पुलिस हड़ताल पर गयी है? आज तक इन्होने अपनी वेतन बढ़ाने.... या अपने भत्ते बढ़ाने के लिए हड़ताल किया हैं...? कभी नहीं.. कारण एक भी दिन घर पर बैठना पड़ जाये तो फिर कमाई कैसे होगी... अब ज़रा एक और बात पर गौर फरमाइए... मानखुर्द के रास्ते मुम्बई में दाखिल होने वाले कितने ट्रक होंगे.... दिन भर में उस रास्ते से कम से कम लाख ट्रक तो आता ही होगा... हर ट्रक से सौ सौ रुपया भी लिया तो फिर एक दिन का कितना हुआ..? इसमें संतरी से लेकर मंत्री तक का हिस्सा होगा? कितना मजे का तंत्र है यह? ट्रैफिक में जहाँ सभी गाड़ियाँ घिस घिस कर चल रही हैं उसमे ट्रको को शहर में खुला छोड़ देना क्या अन्याय नहीं है? अभी शायद दुनिया भर के सभी शहरों में मुम्बई ही अकेला शहर होगा जहाँ सरकार की कोई ट्रक नीति नहीं है...? ट्रक नीति से मेरा मतलब पीक हावर में ट्रको को शहर से दूर रखना... आखिर संकरे रस्ते पर बी एम् सी का कचरा गाडी क्यों चल रहा है? आखिर इसका ज़िम्मेदार कौन है.... दुनिया का सबसे ज्यादा पेट्रोल और डीज़ल गाडिओं को चलाने में नहीं बल्कि ट्राफिक जाम में ख़त्म होता है.... कारण यह मामा लोग हैं.... अगर यह मामा लोग रुपया लेकर ट्रक को शहर में ना छोड़े और पीक टाइम पर केवल गाड़ियाँ और बसे ही चलें तो फिर यह जाम एक दिन में निपट जाये... | मगर यह होगा नहीं... संतरी से ले कर मंत्री तक सभी का खाना है यार.... ट्रक नीति या यूँ कहें की सड़क नीति का पूरी तरह से अभाव है | राजनीति चमका रहे है सब के सब.... किसी को कुछ फ़िक्र नहीं.... खुले सांड की तरह घूमते हुए ट्रक... कचरा गाड़ी ट्राफिक की ऐसे ही बंद बजाती रहेंगी और हम ऐसे ही जाम में खड़े रहेंगे....

क्योंकि मेरा भारत महान..... क्योंकि मेरा भारत महान...
देव

7 टिप्‍पणियां:

रवि कुमार, रावतभाटा ने कहा…

बेहतर...

Bhagalpuri ने कहा…

Bhai Tu bata mujha.
Tu Bihar ka hai ya UP Ka

BhagalPuri in Bihar

मनोरमा ने कहा…

ट्रकों पर सबसे अच्छी िटप्पणी श्रीलाल शुक्ल के राग दरबारी में पढ़ें।

Dev K Jha ने कहा…

विवेक भैया,
मैं बिहार का भी यू पी का भी...
मैं दिल्ली का भी मुम्बई का भी..
मैं शबनम का भी शोला का भी..
भोली का भी भोला का भी..

बन्धु मैं तो पूरे हिन्दुस्तान का हूं....

Dev K Jha ने कहा…

मनोरमा जी लिंक भेजिये... श्रीलाल शुक्ल तक पहुंच नही पा रहा हूं..

Bhagalpuri ने कहा…

bhai ji,
Aap thora sa Bihar ke bare me likhiye
abhi bahut sara material hai likhanai ke
liye or usmai holi place ko Discribe kariya ga , baki aap ka kavita achha laga,


With Regard's
vivek kumar verma
Sr software computer Engg.......

vishal singh sachan ने कहा…

Hats off to you man. Your article. you word selection and main your answer to MR. Bhagalpuri....

You rocking man.