यार अंग्रेजों ने जाते जाते हिन्दुस्तानियो को विरासत में एक ज्ञान दिया... बांटो और राज करो. दुनिया में कुछ चले ना चले अपना सिक्का चलना चाहिए... सरकार चलनी चाहिए | कुछ भी करो कैसे भी करो मगर हिंदुस्तान पे राज करना है तो हिंदुस्तानिओं को अलग अलग टुकडों में तोड़ो और राज करो | महाराष्ट्र में चुनाव हुए जो जीता, कैसे जीता, किसके वोट से जीता ... सभी को ज्ञात है | बांटो और राज करो की सियासत आज भी हिन्दुस्तानी राजनीति का सबसे बड़ा हथियार है | आज़ादी के ६२ साल पुरे होने के बाद भी हम आज तक हिंदुस्तानिओं की गिनती नहीं कर पाए | आज भी हमारी जन-गणना हिन्दुओ, मुसलमानों, ईसाईयों, सिक्खों, जैनिओं की गिनती तक सिमित है | क्या वाकई में भारत में रहने वाले सभी नागरिको का भारतीय-करण हुआ है.. | आज भी हमारे यहाँ भाई का भाई से, मोहल्ले का मोहल्ले से, शहर का शहर से, प्रान्त का प्रान्त से अलगाव है... भले नेताओ और राजनितिक दलों की जो भी रण-निति हो मगर आम हिन्दुस्तानी की सोच का भ्रमित हो जाना सबसे बड़ी समस्या है |
मेरी कविता की चंद लाइने...
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बांटो और राज करो,
अपनी राजनीती चमकाओ
देश की जनता को तो आदत है
जी हुजूरी करने की
तंत्र के पिस्सुओं को
खून से सींचने की
भाई को भाई से
प्रान्त को प्रान्त से
लड़वाओ
जैसे भी हो कैसे भी हो
अपनी राजनीती चमकाओ
एक दिन आएगा
हिन्दुस्तानी युवा जागेगा
एक सुबह आएगी
अँधेरा मिटाएगी
नाश होगा भ्रष्टाचार का
दिलों में फैले वैमनस्य का
और संचार होगा प्रेम और त्याग का
फिर सार्थक होगी
रामायण और महाभारत की शिक्षा
फिर सार्थक होगी
राम-राज्य की कल्पना
एक दिन आएगा
एक दिन आएगा
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मगर वह दिन कब आएगा यही समस्या है और यही आज का सबसे बड़ा प्रश्न है............. हमारे शशि भैया हमेशा एक बात कहते हैं की दुनिया में हर कोई चाहता है की भगत सिंह दुबारा जन्म ले मगर मेरे यहाँ नहीं पडोसी के यहाँ क्युकी अगर घर में भगत सिंह जन्म ले गया तो फिर तो कुर्की करा देगा .... | बात तो एकदम सही है मगर फिर भी कुछ तो करना होगा... कही से कुछ शुरुआत तो होनी चाहिए ..... ......
देव बाबा
२७ अक्तूबर २००९
2 टिप्पणियां:
शशि भैया और देव बाबा के कोमल चरणों में नमन...
वह सुबह कभी तो आएगी...पर ऐसे ही नहीं ना आ जाएगी प्रभु...
कइसन आएगी?
bahut achchhe bhai kavita ka pratham chhand bahut hi achchha laga
aur rahi baat prem sanchaar ki to dilon men hamaren hai hi aur hum mil prayaas karenge wo subh kabhi to aayegi
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