यार आज कल की दुनिया में किसी पर भी भरोसा करना बड़े खतरे की बात है... चाणक्य चाचा ने बहुत पहले ही बोला था की अपने राज़ किसी से कभी साझा मत करो, यह तुम्हे बर्बाद कर देगा... | वैसे तो सही है यार दुनिया का सबसे बड़ा रोग जाने क्या कहेंगे लोग | दो की चार करने और उसपे मजे लेने में जो मजा है वोह सुख अनंत है... ब्रम्हांड में उससे बड़ा कोई और सुख है ही नहीं | अब साहब हम तो ठहरे हिन्दुस्तानी लोग कायदे से अंग्रेजी भी बोलनी शायद अब जा के सीखी है... | हमारे काले अंग्रेज दोस्त तो आज भी हमें दाल रोटी खाता देख गंवार की केटेगरी में डाल देते हैं |
मगर साहब आज एक बहुत अच्छी चीज सीखी... सो साहब आज हमने सिखा की दुनिया में तरक्की के लिए मेहनत ज्यादा ज़रूरी नहीं है , ज़रूरत है परिस्थितिओं के हिसाब से राजनीती और कपटनीति की | अगर आप राजनीती या कहें कूट निति से काम निकल सकते हैं तो फिर आप एक श्रेष्ठ मानव कहलाने के अधिकारी हैं नहीं तो फिर आप आम इंसान हैं.. | अब साहब दुनिया के एक से एक हीरे भरे हैं............ जिन्होंने अपनी परिस्थितियों का लाभ उठाया, मुश्किलों को हल करने की जगह उनसे अपना फायदा निकला और अपना झंडा बुलंद किया | अब साहब
"पर निंदा उन्नति आहे, सब फंदों को मुल ...
बिनु पर निंदा बाच के, मिटे ना हिय को शूल "
बोलो दिया बत्ती लालटेन की जय... सो भाई लोगों आँखे खोलो... और जल्दी से जाओ और अपनी कंपनी के बोस पास जाओ और जितना गरियाना है अपने साथिओं को गरियाओ, अगर तुमने लेट किया और तुम्हारा साथी पहले गया तो फिर खेल ख़त्म... जितनी जल्दी तरक्की की सीढियाँ चढ़ना चाहते हो उतनी जल्दी अपने बोस को फंसाओ | अगर वह पट गया तो दिन को होली रात दीवाली रोज मनाती मधुशाला रोज गावोगे.... नहीं तो एक ही गान गाओगे... लाखो तारे आसमान में एक मगर ढूंढे ना मिला.... |
तो काम बंद करो भाई, काम तो गंवार लोग करते हैं | बस हर काम का बवाल बनाओ और एक बकरा खोजो जिसके सर पे ब्लेम डाल सको... | और दुनिया में एक ही मन्त्र सत्य है और वो की बोस खुश तो सब खुश.... | कुछ लोग कहेंगे चापलूसी है यह... तो मेरे भाई यह तुम्हारी दकिया-नुसी और रुढी-वादी सोच को सुधारो... बड़े बड़े बीरबलों और तेनालिरामों ने इसे ही अपना तरक्की का मूल मन्त्र माना है भाई... अब आप बीरबल के भी बाप हो अलग बात है.... मगर भाई आम इंसानों के लिए तो यह फार्मूला एकदम हिट है.... टेस्टेड एंड सर्टि-फाइड......... |
अबे सोचो मत अपनी तरक्की का मार्ग प्रशस्त करो और मस्त रहो... मस्त जियो... |
देव बाबा
३१ अक्तूबर २००९
1 टिप्पणी:
बेहतर व्यंग्य...
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