सबसे पहले मेरे मित्रों... सभी देशवासिओं को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ-कामनाएं..... बाकी सब भला-बुरा अलग अलग हैं.... अपने लिए तो आज का दिन छुट्टी का दिन है और दिन भर घर पर बैठे बैठे कुछ अपनी सुनाने का दिन है..... |
वैसे अपनी बैंगलौर यात्रा का व्यौरा तो मुझे दो दिन पहले ही देना चाहिए था मगर कुछ निजी व्यस्तता के कारण नहीं दे पाया.... कोई ना देर आये मगर दुरुस्त आये की तर्ज़ पर लीजिए देव बाबा और मनीषा जी की बैंगलौर यात्रा का विवरण और दो दो ब्लोगर्स मीट का किस्सा भी सुनिए.... मित्रों, कुछ पारिवारिक कार्यक्रम से देव बाबा और मनीषा जी को इस शनिवार और रविवार को मुम्बई से बंगलौर की यात्रा पर निकलना था। सुबह सुबह ६ बजे की गो-इंडिगो कि फ़्लाईट पकडी और बंगलौर पहुँच गए.... भैया बैंगलौर पहुँचते ही जो पहली आवाज़ कानों में पड़ी वह थी....
नो बसेस सार! स्ट्राइक टुडे!!!!!
दिमाग ख़राब.... एक तो ससुरा एयर-पोर्ट शहर के साठ किलोमीटर दूर ले जा के बना दिया है और ऊपर से बस नहीं.... बोले तो यह कैसे... कल तक तो सब ठीक था.... बात बात पर चिल्लाने वाला न्यूज़ और समाचार चैनल पर भी कोई खबर नहीं था..... मगर साहब सुबह सुबह एयर-पोर्ट पे एकदम उधेड़-बुन में पड़े थे.... भाई बैंगलौर एयर-पोर्ट पर आपके ऊपर गिद्ध की तरह प्रायवेट टैक्सी वाले टूट पड़ेंगे.... बड़ी मुश्किल से प्री-पेड़ टैक्सी की लाइन में लगे..... तो भाई बैंगलौर अजीब जगह है.... जहाँ प्री-पेड़ टैक्सी पर आपको बोला जायेगा की आप मेरु/ एजी कैब पकडिये.... मतलब यहाँ भी कोई ना कोई लाबी होगी..... मुझे नहीं मालूम की यह एयर-पोर्ट प्रबंधन हो मालूम है या नहीं.... क्योंकि प्री-पेड़ टैक्सी का मतलब यह कतई नहीं होता की आप अपने गंतव्य पर पहुँच कर मीटर के हिसाब से पैसा दे दीजियेगा....| भारी अनियमितता से भरा हुआ एयर-पोर्ट है भाई बैंगलौर का.... |
बहरहाल बहन के घर मारथाल्ली पहुंचे... और बहन को देखते ही सारी थकान मिट गयी.... भाई ससुराल में बहन को देखने का अपना ही सुख है.... एक अजीब सी अनुभूति है भाई.... एक्सप्लेन नहीं कर सकते.....
हमारी बहन ने हमारे नाश्ते के लिए लिट्टी चोखे का प्रबंध किया था.... आप लोग चित्र से संतोष कीजिये.....
तो मित्रों अब आगे की बात सुनाते हैं........ भोजन निपटा और फिर विवेक जी को काल किया गया... विवेक जी को तो हमने वैसे अपने आगमन की सूचना पहले ही दे दी थी मगर फिर से एक रिमाईंडर भेजा गया..... ना को रिक्शा मिल रहा था और ना ही कोई बस..... वह तो भला हो शाम होते होते रिक्शे मिलने शुरू हो गए थे... और देर शाम बैंगलौर में एक ब्लोग्गर्स मीट हुई....
विवेक जी तो बैंगलोर में ४ ब्लॉगरों और एक पाठक का मिलन का ज़िक्र पहले ही कर चुके हैं.... अब लीजिये इस मुलाक़ात के चित्र लीजिये....
वैसे अपनी बैंगलौर यात्रा का व्यौरा तो मुझे दो दिन पहले ही देना चाहिए था मगर कुछ निजी व्यस्तता के कारण नहीं दे पाया.... कोई ना देर आये मगर दुरुस्त आये की तर्ज़ पर लीजिए देव बाबा और मनीषा जी की बैंगलौर यात्रा का विवरण और दो दो ब्लोगर्स मीट का किस्सा भी सुनिए.... मित्रों, कुछ पारिवारिक कार्यक्रम से देव बाबा और मनीषा जी को इस शनिवार और रविवार को मुम्बई से बंगलौर की यात्रा पर निकलना था। सुबह सुबह ६ बजे की गो-इंडिगो कि फ़्लाईट पकडी और बंगलौर पहुँच गए.... भैया बैंगलौर पहुँचते ही जो पहली आवाज़ कानों में पड़ी वह थी....
नो बसेस सार! स्ट्राइक टुडे!!!!!
दिमाग ख़राब.... एक तो ससुरा एयर-पोर्ट शहर के साठ किलोमीटर दूर ले जा के बना दिया है और ऊपर से बस नहीं.... बोले तो यह कैसे... कल तक तो सब ठीक था.... बात बात पर चिल्लाने वाला न्यूज़ और समाचार चैनल पर भी कोई खबर नहीं था..... मगर साहब सुबह सुबह एयर-पोर्ट पे एकदम उधेड़-बुन में पड़े थे.... भाई बैंगलौर एयर-पोर्ट पर आपके ऊपर गिद्ध की तरह प्रायवेट टैक्सी वाले टूट पड़ेंगे.... बड़ी मुश्किल से प्री-पेड़ टैक्सी की लाइन में लगे..... तो भाई बैंगलौर अजीब जगह है.... जहाँ प्री-पेड़ टैक्सी पर आपको बोला जायेगा की आप मेरु/ एजी कैब पकडिये.... मतलब यहाँ भी कोई ना कोई लाबी होगी..... मुझे नहीं मालूम की यह एयर-पोर्ट प्रबंधन हो मालूम है या नहीं.... क्योंकि प्री-पेड़ टैक्सी का मतलब यह कतई नहीं होता की आप अपने गंतव्य पर पहुँच कर मीटर के हिसाब से पैसा दे दीजियेगा....| भारी अनियमितता से भरा हुआ एयर-पोर्ट है भाई बैंगलौर का.... |
बहरहाल बहन के घर मारथाल्ली पहुंचे... और बहन को देखते ही सारी थकान मिट गयी.... भाई ससुराल में बहन को देखने का अपना ही सुख है.... एक अजीब सी अनुभूति है भाई.... एक्सप्लेन नहीं कर सकते.....
हमारी बहन ने हमारे नाश्ते के लिए लिट्टी चोखे का प्रबंध किया था.... आप लोग चित्र से संतोष कीजिये.....
देव बाबा (लिट्टी चोखे का आनन्द लेते हुए)... |
बहन और बहनोई जी के भी दर्शन किये जाए......
जयंती और कृष्ण कुमार जी. |
विवेक जी तो बैंगलोर में ४ ब्लॉगरों और एक पाठक का मिलन का ज़िक्र पहले ही कर चुके हैं.... अब लीजिये इस मुलाक़ात के चित्र लीजिये....
देव बाबा, मनीषा जी, वाणी जी, हर्ष और हमारे विवेक जी.... |
इस चित्र में कृष्ण कुमार जी, देव बाबा, भाभी जी, हर्ष और विवेक जी... (मनीषा जी ने कैमरा थमा हुआ है भाई....) |
वैसे चर्चा के मुद्दे बहुत थे और समय बहुत कम था.... फिर भी कर्नाटक की स्थिति पर चर्चा हुई.... भ्रष्टाचार, मुंबई, उड़नतश्तरी समीर लाल जी की कृति - “देख लूँ तो चलूँ”, दक्षिण भारत में हिन्दी और ब्लॉग वार्ता प्रमुख रहे...
अगले दिन यानि की रविवार को एक और ब्लोगर्स मीट हुई.... इस बार मीट में सम्मिलित थे.... प्रवीण जी, देव बाबा, मनीषा जी, श्रद्धा भाभी जी.... और स्थान था.... प्रवीण जी का घर.... यानी की रेलवे क्वाटर्स बैंगलौर| लीजिये भाई इस मीट के चित्र देखिये....
मनीषा जी, देव बाबा और प्रवीण भाई |
भाभी जी, मनीषा जी और देव बाबा |
ज़रा नाश्ते की प्लेट पर गौर फ़रमाया जाए..... भाई दिल्ली की गजक से लेकर... ईडली और सैंडविच सारे रंग थे..... |
देव बाबा और प्रवीण भाई... |
वैसे तो बातचीत के मुद्दे निजी ज़िन्दगी से ही जुड़े हुए थे.... जैसे की प्रवीण भाई ने आज तक किस किस जगह पर काम किया है..... तो भैया इस फोटुआ में खोजिये.... प्रवीण भाई की पोस्टिंग कहाँ कहाँ हुई है पता चल जायेगा....
बैंगलौर के लाल-बाग में होने वाली पुष्प-प्रदर्शनी और तरह तरह के फूलों की छटाओं के दर्शन भी किये गए.... अत्यंत आनंदित कर देने वाली मीट रही.... इडली, सैड्विच.... दिल्ली की गजक... और चाय की चुस्कियों के बीच बैंगलौर के माहौल पर भी चर्चा हुई..... मुम्बई और मुम्बई से औरंगाबाद जाने वाले रास्तों पर भी चर्चा हुई...... नासिक, शिर्डी औरंगाबाद और अन्य पर्यटन स्थलों और खान पन पर भी चर्चा हुई....
मनीषा जी ने नासिक के पास सतपुड़ा पहाड़ियों पर वनी और सप्त-श्रंगी मंदिर का ज़िक्र किया और वहां पर मिलने वाले प्याज़ के पकौड़े और चाय की बात छेड़कर सभी को वहां के दर्शन करा दिए...... देव बाबा भी पीछे कैसे रहते... मुम्बई से औरंगाबाद और नासिक जाने वाले रास्तों और अपनी ड्राइविंग स्किल्स भी बता दिए..... (यकीन मानिए देव बाबा मुम्बई से शिर्डी चार घंटे में पहुंचे हैं.... वह भी आल्टो में....) सो भैया बहुत ही अच्छे माहौल में और अगली बैंगलौर यात्रा (अप्रैल ९, १०, ११) के वादे के साथ यह ब्लोगर्स मीट संपन्न हुआ.....
तो भैया अपने बैंगलौर प्रवास के दौरान बस एक ही बात प्रमुखतः रही और वह यह.... की अगर रूलिंग पार्टी ही बंद का आह्वान करेगी तो फिर यह सरकारी बंद कानूनी तौर पर कैसे जायज़ हो सकता है...... अगर मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच का पंगा है तो फिर सरकारी बंद करा देना..... यह तो एक बहुत ही गलत परंपरा डाल देगा भाई..... कोई ना कोई संवैधानिक और सीधा रास्ता तो होगा ना..... बहरहाल बंद और बंद के बीच का तनाव एक अजनबी शहर में थोडा परेशान करने वाला था..... अगली यात्रा अप्रैल ९, १० और ११ को होगी.... तब सभी मित्रों से मुलाकात का प्रयास होगा... इस बार समय की कमी के कारण जिनसे नहीं मिल पाया उनसे क्षमा....
चलिए तो फिर अगली बार फिर मिलेंगे......
जय हिंद
-देव कुमार झा
5 टिप्पणियां:
हमें उस दिन का आनन्द तो बहुत दिनों तक याद रहा।
majedar raha ho ga fir to......
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!
Happy Republic Day.........Jai HIND
बढिया ब्लागर मिलन रहा। विवेक रस्तोगी जी, प्रवीण जी सहित सभी परिजनो को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
मिलन जारी रहे।
आनन्द आ गया मिलन गाथा सुन और देख कर...चलो, देख लूँ तो चलूँ चर्चा मे आई. :)
सब तस्वीरें देख कर आनन्द आ गया.
हा हा हा
मज़ा आ गया.
अरे ये क्या, ये टिप्पणी तो हम अपनी बहन जी के अकाउंट में लोगिन रहते हुए ही कर रहे हैं.
कब तक आखिर आपको न टीपने का मौका छोड़ते !!
एक टिप्पणी भेजें