एक किस्सा सुनिये... हमारे दुबे जी पहली बार अपनी ससुराल गये और वहां खातिरदारी पर खातिरदारी होनें लगी। अब साहब छप्पन भोग तैयार हुए। प्लेट में जब भोजन थाल सजाया गया और सामनें आया... दुबे जी विचार में कहां से शुरु करें और कहां पर खत्म। तभी प्लेट में पडे कढी की कटोरी पर ध्यान गया.... (दुबे जी को कढी के नाम से कोफ़्त होती है.... उनका बस चले तो कढी खिलानें वाले को कढी से नहला दें और दुनियां से कढी का नामोनिशां मिटा देबै)। सोचे मुसीबत को जल्दी खत्म करें और फ़िर बाकी भोजन का आनन्द लेंगे।
बस यही सोच कर नाक बन्द कर एक ही सांस में कढी पी गये..... ससुरालियों नें सोचा की दुबे जी को कढी अच्छी लग रही है बस फ़िर क्या एक कटोरी और भर दी गयी। नाक बन्द कर एक सांस में फ़िर पी गये..... कटोरी फ़िर से फ़ुल....
अब क्या? किसी नें एक प्रश्न पूछा... दुबे जी आप लोग कितने भाई है.... दुबे जी बोले घर से निकले थे तब तो दो थे.... अब इस कढी को पीनें के बाद शायद एक ही हो जाएंगे....
हा हा... फ़िर लोगों की समझ में आया की भोले भाले और शर्मीले स्वभाव के दुबे जी को कढी पसन्द नहीं है।
तो भैया ई तो बात हुई कढी और दुबे जी की। देव बाबू इत्ते शर्मीले नहीं है सो अपनी अलग ठाठ थी भई।
बोले तो जय ससुराल और जय ससुराल की खातिरदारी...
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ई तो खातिरदारी की बात हुई... वईसे मुम्बई से औरंगाबाद तक की यात्रा भी कम रोचक नहीं थी। वाह क्या हरा भरा माहौल था भाई.... हमने एक ट्रिप अपनी मारुति आल्टो से पूरी की और एक ट्रेन से। लीजिए कुछ चित्र देखिये और वाह वाह कीजिए...
वाह वाह.... देव बाबू और मनीषा जी कैसे दांत चियाईर कर हस रहे हैं..... कमेण्ट प्लीज़....
पूरी ट्रिप बहुत ज़बरदस्त थी, खास तौर पर हमें इम्प्रेस किया पुणे के लोगों नें.... हमनें एक से रास्ता पूछा तो उसनें बोला दस रुपए दो फ़िर बताऊंगा.... हम बोले तुमको दस जूता देंगे....
पुणे में कोई आपको सही रास्ता नहीं दिखाएगा..... और पुणे शहर में अगर आपको जाना है तो फ़िर आप अपना रास्ता पहले से गूगल मैप.... नही तो कोई और मैप में देख कर चलिए.... पुणे शहर में रस्ता पूछियेगा तो फ़िर आपको यह किसी और देश में पहूंचा देंगे। (वईसे ई हमारा अनुभव है, शायद किसी और का अनुभव अच्छा भी होगा).
अगली पोस्ट में हमारी अजन्ता और एलोरा की यात्रा के चित्र होंगे। बाकी तो सब ठीक है, देव बाबू शादी होनें के बाद थोडे ब्लागिंग से सुस्त तो हो ही गये है और इन दिनों शिवम भैया और संजय भास्कर भैया दोनों नें फ़ोन करके हमारी खातिरदारी ली सो बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी का।
संजय भाई नें पंजाब और हरियाणा की बाढ से होनें वाली दिक्कतों का ज़िक्र किया सो वाकई मन सोच में पड गया..... कैसे हमारी सरकारें आनें वाली दिक्कतों और मुसीबतों के लिए पहले से तैयारी की जगह मुसीबत आनें के बाद भी आरोप और प्रत्यारोपों से घिर जाती है।
कुछ नहीं कर सकते.... जय हिन्द का नारा लगाईए और चुप चाप आफ़िस के लिए तैयार होनें जाईए।
-देव
9 टिप्पणियां:
खूब मज़ा किये रहो देव बाबु ......बहुरिया के साथ ! जय हो !!
खूब खुश रहो दोनों .............और ऐसे ही दांत चियाईर कर हँसते रहो !
बहुत अच्छा लगा यह संस्मरण और ट्रेव्लोग पोस्ट....
hmm .. :)
जिया सेर जिया.
.....त खूब मौज किया.
चला, अब तोहरे अजन्ता-एलोरा क इन्तजार बा हो.
जय हो देव बाबु के
चित्रों से बयाँ कर दी आपने कहानी।
सही कहा ससुराल के तो मजे ही अलग हैं ...वैसे फोटुआ में दांत बढ़िया चमक रहे हैं
keep rocking !!
रोचक
जय हो देव बाबु ........
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