रविवार, 30 मई 2010

हिन्दु मुसल्मां गिन लो..... इंसान मत गिनना....

हिन्दू कितने...
मुसल्मा कितने...
गिनो
और पूरी कर लो
देश की
जनगणना
एक एक गाँव में जाओ
एक एक इन्सान को हिलाओ
और पूछो
क्या जात है तेरी
तभी तो पूरी होगी ना
मेरे देश की
ताजा जनगणना
सब गिन डालो..
ताकि अंदाज़ा हो जाये
वोट की गुणा गणित का
और हो जाये
बढ़िया तयारी
अगले चुनाव की
-देव

24 टिप्‍पणियां:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

बहुत शानदार और ग़ज़ब कि कविता....

S.M.Masoom ने कहा…

बेहतरीन कविता है,लेकिन यह हकीकत किसकी समझ मैं आती है.

M VERMA ने कहा…

शानदार रचना और सार्थक सोच
हकीकत तो यही है कि सब वोट के फंडे हैं.
इंसानों की गिनती करना ही कौन चाहता है

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

एक बेहद साधारण पाठक ने कहा…

बहुत अच्छी पोस्ट,बढिया लिखा आपने,बधाई आपको।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

Insaan hai bhee kahaan jo gine jaaye ?

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सटीक बात कही!

Ra ने कहा…

खरी बात !

दिलीप ने कहा…

bahut khoob...

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

बहुत सटीक बात कही!

स्वाति ने कहा…

सार्थक -सटीक रचना ..

Hindi Me ने कहा…

bahut khub,
ek dam sahi likha hai aap ne.
lekin ye baat hamare netawo ko samajh me aaye tab na

शिवम् मिश्रा ने कहा…

जात ना पूछे .................पात ना पूछे ................. ना पूछेगा तेरा धर्मा...........रुब तेरा पूछेगा ओह बन्दे .................क्या था तेरा कर्मा !!

Shah Nawaz ने कहा…

बेहतरीन रचना. बहुत खूब!

राजकुमार सोनी ने कहा…

आपकी रचना बहुत ही बढिया है लेकिन अब तक आपके ब्लाग पर पापाजी अवतरित नहीं हुए आश्चर्य किन्तु सत्य है। अब दस-बारह दिन तो कम से पापाजी चलेगा ही।

राजकुमार सोनी ने कहा…

आपकी रचना बहुत ही बढिया है लेकिन अब तक आपके ब्लाग पर पापाजी अवतरित नहीं हुए आश्चर्य किन्तु सत्य है। अब दस-बारह दिन तो कम से पापाजी चलेगा ही।

राजकुमार सोनी ने कहा…

आपकी रचना बहुत ही बढिया है लेकिन अब तक आपके ब्लाग पर पापाजी अवतरित नहीं हुए आश्चर्य किन्तु सत्य है। अब दस-बारह दिन तो कम से पापाजी चलेगा ही।

लल्लन की कलम से ने कहा…

सचाई के करीब होना आदत लगती है आपकी

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

वन तस्कर जंगल में अवैध रूप से अंधाधुंध लकड़ी काटते हैं और उसकी तस्करी करके मोटा मुनाफ़ा कमाते हैं। वे उसे अधिकारियों और नेताओं के साथ मिल बांट कर खाते हैं। इसलिये वे कभी पकड़े नहीं जाते। इसके नतीजे में पर्यावरण बिगड़ता है।
http://blogvani.com/blogs/blog/15882

Dev K Jha ने कहा…

@राज कुमार जी.... यह पापा जी कौन हैं.... वैसे तो काम भर का समझदार हूँ, मगर पापा जी को नहीं पहचान पा रहा हूँ....

कडुवासच ने कहा…

...अदभुत !!!

पापा जी ने कहा…

पुत्र
तूने मुझे याद किया
तू अच्छा लिख रहा है सफ़लता मिलेगी
पापा जी

संजय भास्‍कर ने कहा…

जनगणना
एक एक गाँव में जाओ
एक एक इन्सान को हिलाओ
और पूछो
क्या जात है तेरी

.........बहुत खूब, लाजबाब !

संजय भास्‍कर ने कहा…

......... प्रशंसनीय रचना - बधाई