यार चाहे दुनिया में कुछ भी हो जाए मगर छोटा बच्चा रोना नहीं चाहिए.... अगर कहीं किसी भी बच्चे के रोने की आवाज आ रही हो तो उसे मनाओ... चुप कराओ क्योंकि निदा फाजली साहब ने एकदम सही ही कहा है ना.... घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो युं कर लें, किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए....
बस आज एक कविता बन आई.... आप लोगों के साथ बाँट रहा हूँ....
मुझसे रूठ गए हो तो क्या है...
मैं फिर तुम्हे मना लूँगा...
ढेरो खेल खिलौने लेकर
मैं तुमको बहला लूँगा....
टाफी चोकलेट आइस-क्रीम भी
सब कुछ तुम्हे दिला दूंगा...
रंग बिरंगी दुनिया सारी...
सब रंग तुम्हे मैं दिखलाऊंगा...
एक बार ज़रा तुम पास तो आओ...
मैं फिर तुम्हे मना लूँगा..
मेरी बिटिया रानी आ जा
तेरे बिन ना रह पाउँगा.....
तेरे बिन ना रह पाउँगा.....
देव
अप्रैल, ४ २०१०
2 टिप्पणियां:
फ़ाजली साहेब हंसाने की कह रहे थे जनाब...
आप मना...और बहला भी रहे हैं...
बेहतर....
बढ़िया है..बच्चों को मनाना और बहलाना भी अच्छा लगता है.
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