कुछ इस तरह मेरे जीने का अंदाज बदल गया
बस धरती बदल गयी कुछ अम्बर बदल गया...
वह और बात थी जब जब सारे एक थे
अब तो भैया ज़माना बदल गया
सुदामा आ गया है आज फिर से कृष्ण के घर पर
बेचारे को क्या पता कृष्ण का पता बदल गया...
मेरे कुछ दोस्त आज हैरान थे..
मैंने पूछा क्यों बोले नजरिया बदल गया...
और चंद रोज़ पहले तक वो खास था मेरा
आज शाम ही पता चला की उसने दल बदल लिया..
मैं फिरता हूँ दर-बदर इस दुनिया का भीड़ में
सुनता हूँ तो कुढ़ता हूँ यही सोच सोच कर
... की उसने भी अपना घर बदल लिया..
-देव
9 टिप्पणियां:
बदल गया..बढ़िया है जी!!
bhai abhi Sadi nahi huaa hai
Abhi tak to hum sab Badle nahi hai.
Abhi Bhe hum sub me wo Piyar dikhta hai
Lakin sadi ke baad sub ????
Wife Ke piyar me Kutta Se Kamina ban jaye ge
Bhai Kabita to aap La Jabab Likhate hai
Thank's
vivek
बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में
bahtrin bahut khub
सचमुच 'बदल गया' लाजवाब है.
बदलाव परिस्थितियाँ लाया करती हैं लेकिन जब मूल स्वभाव बदलने लगे तो मन को सालता है. पता बिन बताये अगर कोई बदल ले तो बुरा लगता है.
अगर सुदामा कृष्ण के घर पर आ गया तो कृष्ण का पता बदलने की बात कैसे सोची जा सकती है. इसे यों कहें :
सुदामा आ गया कृष्ण के पुराने पते पर
बेचारे को क्या पता, अब उनका पता बदल गया.
आज के समय में अपनी संगृहीत सूचनाओं को अपडेट करते रहना चाहिए. यह आज की जरूरत है.
क्या मालूम कल को आप भी अपने फ़ोन नंबर और इ-मेल एड्ड्रेस को बदलना चाहें. जब मैं बार-बार जबरन संपर्क बनाने की कोशिश करने लगूँ.
सुदामा यदि कोई इच्छा लेकर कृष्ण के घर पर जाएगा तो कृष्ण भागता ही फिरेगा ना.
और आज का कृष्ण सचमुच सामर्थ्यवान होगा तो सुदामा जैसे कई ज़रुरतमंदों को रोजगार से लगा देगा. उसे बार-बार पता बदलने की जरूरत नहीं होगी.
Hi
PRATUL,
I am vivek in delhi and friend's of Dev
AAP ke Comment sahi me lajabab hai
I Respact your comment
Vivek
एक अच्छी कविता आप लिखे और हमारी नज़रों से बच जाए ऐसा नहीं हो सकता .......एक सुन्दर प्रस्तुति ....बस आगे भी कलम को चलाते रहिये
http://athaah.blogspot.com/
वह और बात थी जब जब सारे एक थे
अब तो भैया ज़माना बदल गया
सुदामा आ गया है आज फिर से कृष्ण के घर पर
बेचारे को क्या पता कृष्ण का पता बदल गया...
मेरे कुछ दोस्त आज हैरान थे..
मैंने पूछा क्यों बोले नजरिया बदल गया...
दुबारा आपकी रचना पढ़ी ....और लाजवाब लगी ....फिर बधाई
http://athaah.blogspot.com/
हा हा हा
कृष्ण का ही पता बदल दिया.
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