शुक्रवार, 15 जनवरी 2010

मेरी कविता...... जीने के लिए




जीने के लिए
मकसद चाहिए
कुछ करने का
कुछ कर गुजरने का
हौसला चाहिए

उचाइयों को छूने के लिए
बादलों में उड़ने के लिए
आसमानी पर चाहिए
सागर की गहराइयों से
मोती चुनने के लिए
सागर मंथन का साहस चाहिए

एक मकसद चाहिए
एक हौसला चाहिए

देव
जनवरी १६, २०१०

1 टिप्पणी:

Rony Conrad ने कहा…

Bhaut Khub. Safar kuch iss tarah tai kar mere sathi ki tu chalta rahe aur rasate thak jayen.


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