मंगलवार, 3 जनवरी 2012

दलाली का धंधा.... :-देव

मित्रो, वर्ष २०११ में देश ने भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए आन्दोलन और उन आन्दोलनों में जनता की भागीदारी को बढ़ते हुए देखा... इन आन्दोलनों ने जनता की सोच को थोडा बहुत तो बदला ही... कम से कम आसानी से घूस देने को तैयार रहने वाला आम आदमी अब जांच पड़ताल करने लगा है, और उसकी इस पूछताछ से दलाल (एजेंट) थोड़े घबराने लगे हैं.... मैं पिछले दिनों हुए वाकये को आपके सामने रखता हूँ....


अपनी कार के रजिस्ट्रेशन के समय हुई दिक्कत: 

मित्रो मैं २०११ में अपनी कार के रजिस्ट्रेशन के लिए वाशी आर टी ओ के एजेंटो के बीच फसा.... अब साहब बात कुछ ऐसी है की मुम्बई में टैक्स अधिक होने के कारण वहां एक्स-शो रूम कीमत अधिक होती है और नवी मुम्बई या ठाणे में ७.५% टैक्स कम होने के कारण यहाँ पर कीमत कम होती हैं.... अब यही सारे खेल की जड़ है, मुम्बई में रहने वाले लोग पैसे बचाने के लिए अपने वाहनों का फर्जी रजिस्ट्रेशन नवी मुम्बई या ठाणे से करते हैं.... इसमें इनका साथ देते हैं कार डीलर और आर टी ओ के एजेंट्स (मेरी भाषा में दलाल या दल्ले) अब यह फर्जी कागजात और फर्जी पते बनवाते हैं और फिर सबकी मिली भगत से सरकार को लाखो का चूना लगा देते हैं.....  अब साहब वाकया कुछ यूँ हुआ....  हम तो नवी मुम्बई में ही रहते हैं... हमसे भी रजिस्ट्रेशन के समय सारे पेपर्स मंगवाए गए, हमने सब भिजवाए.... और इसके बाद हमारा काम बड़ी आसानी के साथ हो गया.... हमने सोचा वाह, बिना कुछ घूस खिलाये आसानी से काम हो गया.... मन ही मन देश में काम होते जा रहे भ्रष्टाचार पर वाह वाही कर रहे थे.... और मन ही मन खुश हो रहे थे....
हमारी आँखे खुली कार की डिलीवरी के समय, जब हमसे २००० रूपये नकद मांगे गए.... हमने पूछा यह किसलिए, बोला आर टी ओ की फ़ार्मेलिटिज़ के लिए... फिर जब हमने पूछताछ की तो पता लगा यह रिश्वत के पैसे हैं जो बिना हमें बताये हुए दिए गए हैं और अब डीलर को वह पैसे हमारी जेब से चाहिए.... अब भाई हमारा पारा आसमान पर..... हमने वह पैसे देने से इनकार किया, और डीलर को बोल दिया की यह धोकेबाज़ी है और यह मुझे पहले क्यों नहीं बताया गया.... हमने वह पैसे नहीं दिए क्योंकि शायद डीलर को एक सबक मिले, और वह अगले ग्राहक से सावधानी बरते.... (भगवान् जाने यह सही है या गलत... लेकिन फिर भी हमें जो ठीक लगा हमने वही किया, जब मेरे सारे पेपर्स पूरे हैं तो फ़िर मैं क्यों रिश्वत दूं?)....

एक वाकया और हुआ घर के कान्ट्रेक्ट के रिन्यू के समय, जो मैं कल की पोस्ट में बताता हूँ.....  लेकिन बात कुछ भी हो, इस शहर में दलाल का धंधा की जोरो पर है, लोगों को भी काम जल्दी निकलवाने के लिए दलाल चाहिए और सरकारी तंत्र को भी दलाल चाहिए.... देश का कुछ भी हो....  दलाली का धंधा जोरो पर है.....

4 टिप्‍पणियां:

शिवम् मिश्रा ने कहा…

सारा का सारा देश दलाली के दम पर ही चल रहा है ... किसी भी जगह देख लो यही आलम है !
गलती हम लोगो की भी है ... भाल लाइन में लगना ही कौन चाहता है ... हर एक के पास समय कम है और काम ज्यादा ऐसे में यह दलाल सामने आ ही जाते है किसी ना किसी रूप में ...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

लूट मची है, क्योंकि छूट मची है।

दिलीप ने कहा…

sahab zarurat lagti hai to desh ki dalali ho jaati hai...ye to fir bhi choti dalali hai..ummeed hai aap khairiyat se hain bhaiji...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

लूट सको तो लूट अफसर से लेकर नेता तक लगे है,
जनता परेसान है,कोई सुनने वाला नही है,

"काव्यान्जलि":--में स्वागत है