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ये सिला मिला है मुझको तेरी दोस्ती के पीछे
की हजारों गम लगे हैं, मेरी ज़िन्दगी के पीछे...
ना तो दिल का कोई मकसद,
ना तो मेरी कोई मंजिल
मैं चला हूँ क्यों ना जाने
किसी अजनबी के पीछे
तेरे आस्तां से सरको
मैं उठाऊंगा ना हरगिज़
मैं कहाँ कहाँ ना भटका
तेरी बंदगी के पीछे
मुझे कहके तुम शराबी
ना करो जहाँ में रुसवा
कोई राज़ भी तो होगा
मेरी मयकशी के पीछे
कोई उनसे जाके इतना
ज़रा ए 'शकील' कह दे
मैं हूँ आज जहाँ में रुसवा
तेरी आशिकी के पीछे..
ये सिला मिला है मुझको तेरी दोस्ती के पीछे
की हजारों गम लगे हैं, मेरी ज़िन्दगी के पीछे...
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-देव
3 टिप्पणियां:
ये सिला मिला है मुझको तेरी दोस्ती के पीछे
की हजारों गम लगे हैं, मेरी ज़िन्दगी के पीछे...
-बहुत बढ़िया!
कोई उनसे जाके इतना
ज़रा ए 'शकील' कह दे
मैं हूँ आज जहाँ में रुसवा
तेरी आशिकी के पीछे..
ये सिला मिला है मुझको तेरी दोस्ती के पीछे
की हजारों गम लगे हैं, मेरी ज़िन्दगी के पीछे...
-बहुत सुन्दर!
bahut khub
DIL KI GAHRAI ME LE GAYE AAP HAME
shkehr kumawat
किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
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