गुरुवार, 8 अक्तूबर 2009

हिंदुस्तान है भैया.... यहाँ सब चलता है

भाई लोगो, जय राम जी की..
आज तो भैया गजब ही हो गया | मुंबई में चुनावी मौसम है और नेता और समाचार चैनल बस यही दोनों की मौज है | आम मुंबई-कर तो परेशान हो रहा है यार, अभी कांग्रेस हो या राष्ट्रवादी या फिर यह भाजपा और शिवसेना और या मनसे ... कोई भी हो क्या फर्क पड़ता है... | कल ही एक  चुनावी रैली चल रही थी, मुझे उस रैली के चक्कर में लगे जाम से निकलने में एक घंटा लग गया.... यार दिमाग ख़राब हो रहा था और मैं मन ही मन श्राप रहा था लोक-तंत्र के दलालों को |

वैसे चुनावी मौसम में हर कोई अपनी राजनीति चमकाने में लगा हुआ है तो भाई गलत भी क्या है इसमें.... हम पूरे पूरे दिन ऑफिस में लगे रहते हैं और फिर जा के महीने के अंत में एक दिन की पूर्णिमा आती है... और यहाँ देखो एक बार नेता बनो और कोई भी तिकड़म भिडाओ और एक चुनाव जीतो फिर पूरी ज़िन्दगी बस पूर्णिमा ही पूर्णिमा ... अमावस तो पूरी पीढी में नहीं आनी भाई... |

दर-असल कमाओ और खाओ और अपनी राजनीति चमकाओ यही मूल ध्येय है यार | आम-आदमी तो हमेशा से जिंदा ही रह लेता है यार... | बांटो और राज करो, पहले यही कम अंग्रेजो ने किया अभी यही कम नेता कर रहे हैं.... आदरणीय अदम गौण्डवी साहब की एक कविता की चंद लाइने आप लोग भी सुनिए 

काजू भुने प्लेट में विस्की गिलास में
उतरा है रामराज विधायक निवास में
 
पक्के समाजवादी हैं तस्कर हों या डकैत
इतना असर है खादी के उजले लिबास में

आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरह
जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में

पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें
संसद बदल गयी है यहाँ की नखास में

जनता के पास एक ही चारा है बगावत
यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास में


तो भाई लोगो अपने वोट का प्रयोग अच्छे से करो और बिना किसी छलावे के सही प्रतिनिधि को चुनो....  और नहीं तो मस्त रहो क्या फर्क पड़ता है राजा कोई भी बने.... किसी की भी राजनीती का दिया जले और किसकी लालटेन बुझे.... अपने यहाँ तो सदियो से सब कुछ चलता ही आया है यार.....

देव बाबा
अक्तूबर ८, २००९

1 टिप्पणी:

chandrapal ने कहा…

bahut acha likha aapne. naye blog ke liye dhero badhai. aakhir aap ko ham ne line par lahi diya jo itna acha likh gaye.. jo ho dev baba ki...chandrapal( ye article aakhar me bhi de sakte hai...proof ki galtiyo par dhyan de baki aap kamal hai.)